सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश कुमार)।
स्थानीय महावीर विहार में ससंघ विराजमान निर्यापक मुनि समय सागर जी महाराज के मुखारविंद से प्रतिदिन मंगल प्रवचन सुनने का सौभाग्य धर्म प्रेमी बंधुओं को प्राप्त हो रहा है। प्रातः कालीन मंगल देशना को संबोधित करते हुए मुनि श्री ने जल की निर्मलता की तुलना मानव मन से करते हुए समझाया कि जल का स्वभाव शीतल और निर्मल होता है , जल की प्रकृति अग्नि को बुझाने वाली होती है। अपने मुख को जल में देखने के लिए, जल शांत होना चाहिए, उसमें तरंग नहीं होना चाहिए। जल की तरह हमें आत्म तत्व की प्राप्ति करने के लिए मन को सरल, शीतल एवं शांत रखना चाहिए, मन में विचारों की अशुभ तरंगें उठती रहेगी तो हम एकाग्रता को प्राप्त नहीं हो सकते।
मोक्ष मार्ग थोड़ा जटिल तो होता है,लेकिन कभी कुटिल नहीं होता। जो मानव मन से कुटिलता नहीं छोड़ते वह कभी मोक्ष मार्ग नहीं अपना सकते।
सीधा वृक्ष, फर्नीचर आदि कई उपयोग में आता है, लेकिन जो वृक्ष वक्र (टेढ़े-मेढ़े) होते है वे केवल सिर्फ ईंधन के काम आते हैं।
कर्मों को नष्ट करने के लिए हमें सम्यक तप का सहारा लेना चाहिए। जिनके तन में राग द्वेष की लहरें उठ रही है, वह आत्म तत्व को प्राप्त नहीं कर सकता।