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गंजबासौदा

मोक्ष का द्वार गुरु कृपा से ही खुलता है – वेदांती महाराज कथा स्थल पर सजा नव देवियों का भव्य दरबार

सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश कुमार)।

जीवाजीपुर स्थित वेदांत आश्रम में समायोजित विराट शतचंडी महायज्ञ व श्रीराम कथा के तृतीय दिवस में जगतगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य स्वामी डॉ. रामकमल दास वेदांती महाराज ने श्री रामचरितमानस बालकांड के मंगलाचरण प्रकरण में वर्णित गुरु महिमा, सत्संग महात्म्य तथा श्रीराम नाम के व्यापक प्रभाव का वर्णन किया। स्वामी वेदांती जी ने बताया कि सद्गुरु के बिना किसी भी प्राणी के मोक्ष का द्वारा नहीं खुल सकता। सद्गुरु के चरणों की रज उसे अंजन के समान है जिसको लगाने से मानव जीवन के सहज कर्तव्यों का हमें ज्ञान होता है। बिना ज्ञान के किए गए आचरण से ना तो व्यक्ति का अपना कल्याण होता है और ना ही वह दूसरों का कल्याण कर सकता है। सुर दुर्लभ अत्यंत महत्वपूर्ण मानव जीवन हमें अच्छे कर्मों को करते हुए ईश्वर प्राप्ति के लिए मिला है। हमारे यहां मोक्ष का द्वार गुरु कृपा से ही खुलता है। सतगुरु के उपदेशों को जीवन में उतारते हुए हमें निरंतर सत्संग करते रहना चाहिए। पुराणों में महर्षि नारद, महर्षि वाल्मीकि तथा अगस्त आदि ऋषियों ने अपने जीवन का परिवर्तन सत्संग से ही बताया है। सत्संग का अर्थ केवल विरक्त संतों के साथ से ही नहीं अपितु जो लोग भी ईश्वर की भक्ति करते हुए अच्छे आचरण करते हैं वे सभी संत ही है। रामायण में विभीषण, जटायु, निषाद, शबरी आदि को भी श्रेष्ठ संतों की श्रेणी में रखा गया है सत्संग से समस्त प्राणियों का उद्धार होता है। एक सामान्य प्राणी तोता भी संतों के साथ में रहते हुए सीताराम सीताराम बोलने लग जाता है वहीं दूसरी ओर असभ्य लोगों के साथ रहकर तोते के मुख से भी गालियां निकलती है। मनुष्य को तमाम व्यस्तताओं के बावजूद भी सत्संग के लिए समय निकालना चाहिए। श्रीराम नाम के महत्व को बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि यद्यपि ईश्वर के हजारों नाम है फिर भी राम नाम सब से अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। यहां तक की राम नाम की महिमा का वर्णन खुद भगवान भी नहीं कर सकते। इसीलिए हमारे हिंदू जीवन शैली में जन्म से लेकर मरणोपरांत हम श्रीराम के ही गीतों को गाते हुए सतपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।  नव देवियों का सजा भव्य दरबार बुधवार को वेदांत आश्रम प्रांगण में नौ देवियों की भव्य प्रतिमाओं की विधिवत स्थापना की गई। देवी पुराण में वर्णित भिन्न-भिन्न वाहनों में विराजमान सभी नौ देवियों की भव्य झांकी से कार्यक्रम का वातावरण अद्भुत व अवर्णनीय हो गया। श्रीराम कथा व शतचंडी महायज्ञ 15 जनवरी तक चलेगा। आश्रम महंत हरिहर दास जी ने कथा में पधारने हेतु सभी श्रद्धालुओं से आव्हान किया है।

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