संवाददाता सुदर्शन टुडे अम्बिका अग्रवाल
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया हैं। इस दिन महिलाएं सुबह से लेकर भुखी और प्यासी रहती हैं और शाम को चंद्रमा देखने के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर ही व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हाथ में मेंहदी और पैर में रंग लगाती हैं, नई साड़ी पहनती हैं और अपने आप नई नवेली दुल्हन की तरह सजती हैं।पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही हैं कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि उसके सुहाग को वापस लौटा दे, पर यमराज ने नहीं सुनी और उसके पति को ले जाने लगे सावित्री उसके पीछे-पीछे जाने लगी। जब यमराज ने देखा कि सावित्री पीछे नही हठ रही हैं, तो अंत में यमराज ने कहा कि मैं तुम्हारे पति को नहीं लौटा सकता पर तुम मुझसे दो बार मांग सकती हो, तो सावित्री ने पहली बार अपने सास और ससुर की आंख मांगी और दूसरी बार 101 पुत्र का यमराज ने दो वर दे दिए और उसके बाद जब सत्यवान ले जाने लगे तो सावित्री ने कहा जब पति ही नहीं होगा तो पुत्र कैसे होगा तब यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस कर दिया और कहा कि आज के दिन जो विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबे आयु कि व्रत रखेंगी उस दिन उसके पति के आयु में बढ़ती होगी। तब से महिलाएं इस दिन को करवा चौथ रूप से मनाती हैं और बड़े श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करती हैं।उदयतिथि के अनुसार करवा चौथ का उपवास एक नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ के व्रत वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट में होगा।