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अनूपपुरमध्य प्रदेश

भाई के हिस्से की रकम डकार कर राज की शरण मे पहुंचा बलदेव,हुई कोतवाली में शिकायत

 

 

झूंठी शिकायत का हुआ झूँठा बखान,खबरों के खंडन पर बौखलाए महाशय का क्या चलेगा राज

 

 

अनुपपुर। कोतवाली अनुपपुर में हुई एक फर्जी शिकायत पर भाजपा नगर मण्डल उपाध्यक्ष पर सवाल खड़ा करने वाले कथित महाशय जो अपनी खबरों के खंडन पर जिले के पत्रकारों को कॉपी पेस्ट वाले व चंद बिके हुए पत्रकारों को बता देना कि सच को मिटाया नही जा सकता लिखने से भी नही चुके। जिसपर अनुपपुर जिले के कलमकारों में उन महाशय की पोस्ट पर साफ नाराजगी झलक रही है। वही जिले के एक कलमकार ने अपनी वेबसाइट में जारी खबरों में ये लेख किये हैं कि राज की बात है राज को राज रहने दो, कदम कदम पर बिकने वाला, ब्लैकमेलिंग के हजारों आरोप को अपने में समाहित करके पत्रकारिता के नैतिक मापदंडों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करने वाले जिनका एक ही काम है किसी के भी चरित्र को बदनाम करके अपनी रोजी-रोटी चलाना आज वह खुद दूसरे पत्रकारों को बिकाऊ कह रहे हैं। ये बात आम आदमी की समझ में फिलहाल तो नहीं आएगी लेकिन अनूपपुर की जनता इस बात को जानती है कि पत्रकारिता के आड़ में ब्लैकमेलिंग से लेकर बहुत सारे काले कारनामे इस समय अनूपपुर में हो रहे हैं अब जब यह सवाल खड़ा ही हो गया है कि कॉपी पेस्ट करने वाले बिकाऊ पत्रकार सच की आवाज को नहीं दबा सकते तो जनता की भी समझ में आना चाहिए कि सच क्या है? क्या सच यही है जो इन महाशय ने लिखा था। या सच वो था जो ये महाशय जानते हुए अपनी खबरों में छुपा गए।

 

झूंठी शिकायत का हुआ झूँठा बखान,खबरों के खंडन पर बौखलाए महाशय का क्या चलेगा राज?

 

 

ये महाशय केवल अपना ही लिखा सबकुछ सच मान रहे हैं तो अपने भूमि स्वामी को मिली कानूनी नोटिस का उल्लेख क्यों नहीं किया आपने इस बात का उल्लेख तो किया कि राजा तिवारी करोड़ों का घोटाला करके मंत्री की शरण में है लेकिन यह बताने की कोशिश नहीं की भूमि स्वामी अपनी शेष भूमि को बेचकर अपना शेष पैसा क्यों नहीं ले रहा है अगर राजा तिवारी ने उसे अपने अधिवक्ता के माध्यम से इस बात की नोटिस दे दी

तो यहां पर गलत क्या है, पत्रकारिता का मतलब यह नहीं होता कि किसी भी सामाजिक प्रतिष्ठित व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा पर हमला बोला जाए फिलहाल तो महाशय की यह पुरानी आदत है महाशय अपने को ही सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। महाशय यह भी जानते हैं कि इनकी नीव ही ब्लैकमेलिंग पत्रकारिता पर टिकी है ऐसे में किसी दूसरे के ऊपर सवाल खड़ा करने के पहले अपने इतिहास के पन्नों से उन खबरों को पलट कर देख लीजिए जहां से अपने केवल अपनी निजी कुंदक निकालने के लिए एक प्रतिष्ठित अखबार के फोटो छाप दिया था यहां पर यह बताने की जरूरत नहीं है कि आपकी पत्रकारिता का नैतिक स्तर क्या है यह अनूपपुर की जनता बहुत अच्छी तरह से जानती है और पहचानती है, फिलहाल जब अपने सवाल खड़ा ही कर दिया है तो जवाब तो आपको भी देना ही होगा।

 

 

भाई के हिस्से की रकम डकार कर राज की शरण मे पहुंचा बलदेव

 

 

बीते दो दिन पूर्व कोतवाली अनुपपुर में बलदेव पाल द्वारा की गई झूंठी शिकायत के आधार पर एक सामाजिक व्यक्ति पर सवाल खड़े करने वाले भ्रामक खबरों पर अखबारों के खंडन के बाद 14 सितंबर को बलदेव पाल पिता चिड्डा गडारी के छोटे भाई

कुनू पाल पिता चिड्डा गडारी निवासी

वार्ड नं. 13 अनूपपुर ने कोतवाली पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज करवाते हुए अपने भाई बलदेव पाल पर भाई के कब्जे दखल की भूमि खण्न० 1694 /3/क रकवा 1.02 का जुण भाग 51 डि० भूमि जो भाई के हिस्से का खेत था जिसे कुनु पाल के बड़े भाई बलदेव पाल के द्वारा कहा गया कि बेच देते है एवं बेचकर तुम्हारे हिस्से का पैसा तुमको दे दूंगा जिसको सबके सामने छोटे भाई ने स्वीकार कर लिया एवं बलदेव पाल के द्वारा छोटे भाई की सारी जमीन को बेच दिया गया और भाई के हिस्से का 30,60,000/- (तीस लाख साठ हजार रूपये) भाई को आज तक नहीं दिया। जिसपर कुनु पाल ने अपने भाई पर बेईमानी का आरोप लगाते हुए बलदेव पाल से उसके हिस्से की रकम दिलाकर उचित न्याय दिलाने की मांग किया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि राजा तिवारी के खिलाफ हुई झूंठी शिकायत का लंबा चौड़ा बखान लिखने वाले कथित कलमकार जिस बलदेव पाल का पक्ष लेकर भ्रामक खबर प्रकाशित किये थे वो क्या अब बलदेव पाल द्वारा भाई के हिस्से की भूमि को बेचकर पैसा हजम करने की हुई शिकायत पर इस खबर को भी क्या इसी तरह सजाधजा कर इस खबर को भी छापेंगे ये अपने आप मे बड़ा सवाल है।

 

 

*राजा हो या महाराजा राज तो सीताराम का ही चलेगा*

 

 

अपनी खबरों के खंडन पर जिले के पत्रकारों को कॉपी पेस्ट वाले व चंद बिके हुए पत्रकारों को बता देना कि सच को मिटाया नही जा सकता लिखने से भी ये महाशय नही चुके। उसके बाद भी जब इनके मन की तिलमिलाहट खत्म नही हुई तो महाशय ने राजा हो या महाराजा राज तो सीताराम का ही चलेगा लिखने से भी नही चुके हैं। अब देखना यह है कि इनका जिले में किस हद तक राज चलता है।

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