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मंडला जिले के बीईओ कार्यालय निवास में ट्रेजरी की टीम बीते 10 दिनों से जांच कर रही है.

जांच में 52 लाख 45 हजार रुपए का गबन सामने आया है. यहां पदस्थ अस्थाई कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर के द्वारा लगातार कुछ मृतक कर्मचारियों की सैलरी अपने व अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर की जा रही थी

सुदर्शन टुडे न्यूज जिला ब्यूरो चीफ हीरा सिंह उइके की रिपोर्ट

 

मंडला। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के बीईओ कार्यालय से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है. यहां करीब साढ़े तीन साल से एक मृत कर्मचारी की सैलरी निकाली जा रही थी. ये सैलरी इसी कार्यालय में पदस्थ एक कर्मचारी और उसकी पत्नी के खाते में जमा हो रही थी. भोपाल की टेक्निकल टीम ने शिक्षा विभाग के कुछ लेनदेन में आशंका होने पर इसकी जांच जबलपुर के कोष एवं लेखा विभाग को सौंप दी थी. निवास बीईओ कार्यालय में बीते 10 दिनों से ट्रेजरी की टीम भुगतान के बिलों की जांच कर रही थी. जांच में बीते कई सालों से मृत कर्मचारियों के नाम से सैलरी, छात्रवृत्ति की राशि, कर्मचारियों को मिलने वाले हाउस रेंट और बोर्ड को भेजी जाने वाली राशि के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है।

 

*52 लाख 45 हजार रुपए का गबन*

 

अभी तक की जांच में सामने आया है कि इस गबन में प्रमुख भूमिका बीईओ कार्यालय में पदस्थ अस्थाई कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश बर्मन की है. जांच अधिकारी रोहित सिंह के मुताबिक सतीश बर्मन लंबे समय से मृत कर्मचारियों का वेतन अपने रिश्तेदारों व पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर रहा था. इस गबन में दो पूर्व बीईओ की भी भूमिका भी संदेह के घेरे में है. अभी तक की जांच में करीब 52 लाख 45 हजार रुपए का गबन मिला है. जांच पूरी होने तक यह रकम और भी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

 

*सभी आरोपियों के बैंक अकाउंट किए गए सीज*

 

जांच अधिकारी रोहित सिंह ने कहा, ”52 लाख 45 हजार का सीधे-सीधे गबन सामने आया है. 15 दिन पहले भोपाल से हमें सूचित किया गया था लेकिन चुनाव के चलते थोड़ी देरी हुई है. बीते 10 दिनों से हम यहां दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं. प्रथम दृष्टया जिन लोगों ने गबन किया है और जो हमारे शक के दायरे में हैं हमने उनके बैंक अकाउंट सीज कर दिए हैं. इस जांच में लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. जिन लोगों ने गबन किया है उनके नाम सामने आ चुके हैं. ये गड़बड़िया दो बीईओ आनंद जैन और रामनारायण पटेल के कार्यकाल में हुई हैं।

गबन का तरीका बताते हुए उन्होंने कहा, ” कर्मचारी की मौत होने के बाद भी उसकी सैलरी लगातार यहां के कुछ कर्मचारी अपने खाते में ट्रांसफर कर रहे थे. साथ ही बच्चों की छात्रवृत्ति व संबध्दता शुल्क भी दूसरों के खाते में ट्रांसफर की गई है. इसी तरह कर्मचारियों के हाउस रेंट अलाउंस को बढ़ाकर निकाला गया है. इस मामले में अभी जांच चल रही है।

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