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शिवरात्रि के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर

सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश श्रीवास्तव) //

11वीं शताब्दी में परमार वंश द्वारा स्थापित राजा उदयादित्य की नगरी उदयपुर स्थित प्रसिद्ध नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के दूसरे दिन रविवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु महादेव के दर्शनों के लिए पहुंचे। मंदिर के पुजारी नवीन भार्गव ने बताया कि रविवार को अवकाश होने के कारण श्रद्धालु महादेव के दर्शन एवं पूजा अर्चना करने यहां अक्सर आते हैं परंतु शिवरात्रि के दूसरे दिन रविवार का अवकाश होने कारण अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालु बड़ी संख्या में आये। इसके साथ ही शिवरात्रि से ही उदयपुर में 10 दिवसीय वार्षिक मेला भी लगता है जिसमें आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मेले में खरीददारी करने व झूला झूलने आते हैं। उन्होंने बताया कि रविवार शाम को शिवलिंग पर पीतल का आवरण पुनः चढ़ा दिया जाएगा। आपको बता दें कि शिवरात्रि के अवसर पर ही शिवलिंग का आवरण हटाया जाता है।

महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का लगा तांता

महाशिवरात्रि के अवसर पर उदयपुर नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचे। प्रशासनिक मुस्तैदी के साथ भारी संख्या में रहा पुलिस बल तैनात रहा। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो ऐसे तो प्रशासन ने बड़े स्तर पर पूर्ण तैयारियां की थी। उदयपुर के चारों दिशाओं के प्रवेश द्वारों पर 2 किलोमीटर की दूरी पर वाहनों की पार्किंग व्यवस्था। शुद्ध पेयजल एवं आकस्मिक चिकित्सा सुविधा भी रही। इसी के साथ ही प्रशासन ने ड्रोन कैमरे की मदद से व्यवस्थाओं का आंकलन भी किया।

उचित व्यवस्था ने दर्शन किए आसान

सुबह लगभग 4 बजे से नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु महाशिवरात्रि के अवसर पर पहुंचें। प्रशासन द्वारा जगह जगह लगाये गये बैरिकेड्स और एक जगह भीड़ इकट्ठी न होने देने के चलते श्रद्धालुओं को भगवान नीलकंठेश्वर महादेव के दर्शन आसानी से हुए और पूजा अर्चना करने में भी कहीं कोई जल्दी बाजी नहीं करनी पड़ी।

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प्राकृतिक शिवलिंग का किया जलाभिषेक

एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर श्रद्धालुओं ने लहराया भगवा झंडा

प्रसिद्ध नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से दक्षिण दिशा में स्थित करीब 1 हजार फिट ऊंची पहाड़ी जोकि प्राकृतिक शिवलिंग के नाम से जानी जाती है। जिस पर हिन्दू जागरण मंच के राकेश विश्वकर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता अमित शुक्ला, मुकेश सेन, लक्ष्मी नारायण चौबे सहित करीब एक दर्जन युवाओं की टोली दुर्लभ चढ़ाई पार करते हुए पहाड़ी के शिखर पर पहुंचे जहां पर गंगा, नर्मदा व बेतवा नदी के पवित्र जल से प्राकृतिक शिवलिंग का जलाभिषेक किया और पुष्प, वेलपत्र अर्पित कर विधि विधान से पूजन अर्चना की। साथ ही पहाड़ी पर ही 1 हजार फिट ऊंचाई पर करीब 10 फिट लंबा व 8 फिट चौड़ा भगवा ध्वज लगाया। बताया जाता है कि पहाड़ी का आकार एक पूर्ण शिवलिंग की तरह ही है जिसमें जलहरी भी स्पष्ट दिखाई पड़ती है। जानकारों की मानें तो इस विशालकाय पहाड़ी को सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग की भी उपमा दी गई है साथ ही इस पहाड़ी पर आज भी 1 हजार बर्ष पुराने परमार वंश कालीन कई स्मृतियां देखने को मिलती है। इसी पहाड़ी पर एक विशालकाय जल कुंड भी बना हुआ है साथ ही पहाड़ी पर जैन धर्म व हिन्दू धर्म के अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां भी प्राचीन काल के समय की बनी हुई हैं।
युवाओं का कहना है कि इस प्राकृतिक शिवलिंग को संरक्षण की आवश्यकता है। शासन प्रशासन एवं पुरातत्व विभाग को विशेष ध्यान देना चाहिए है। इस क्षेत्र को एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की अपार संभावना है और यहां के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेंगे।

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