सुदर्शन टुडे ज़िला ब्यूरो चीफ रिमशा खान
सिरोंज। देवाधिदेव मदनमोहन सरकार के दरबार जया एकादषी मनाई गई। इस अवसर पर श्री राजे जू को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया गया। इसके तत्पष्चात श्रद्वालुओं द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। वहीं पंडित नवनीत महाराज ने भक्तों को जया एकादषी कथा का महत्व बताते हुए कहा कि जया एकादशी को विधि विधान से करने से नीच योनि से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। एक बार इंद्र की सभा में उत्सव हो रहा था, तब गंधर्वों में प्रसिद्ध माल्यवान सभा में गीत गा रहा था। परंतु उसका मन अपनी सुंदरी में असक्त था, ऐसे में स्वर और लय भंग होने पर इंद्र क्रोध में आ गए तब उन्होंने क्रोधित होकर कहा हे दुष्ट गंधर्व तू जिसकी याद में मस्त है वह राक्षसनी हो जाएगी। यह सब सुनकर माल्यवान बहुत घबराया और इंद्र से क्षमा याचना करने लगा। इंद्र के कुछ ना बोलने पर वह घर चला आया। यहां आकर देखने पर उसकी पत्नी सच में पिशाचिनी रूप में मिली, श्राप निवृत्ति के लिए उसने करोड़ों जतन करें लेकिन सफलता नहीं मिली। तब वह थक कर बैठ गया तब उसका साक्षात्कार ऋषि नारद से हुआ ऋषि नारद ने गंधर्व से उसके दुख का कारण पूछा जब गंधर्व ने पूरी बात बताई तो नारद ने माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी के व्रत को करने के लिए कहा माल्यवान ने श्रद्धा पूर्वक एकादशी का व्रत किया और उसकी पत्नी श्रापमुक्त हो गई।