संवाददाता। ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे में 10 घंटे भी नहीं मिल रही है बिजली जबकि आबादी वाली बिजली 24 घंटे मिलना चाहिए जबकि 10 घंटे भी बिजली उपलब्ध नहीं हो रही है बच्चों को पढ़ाई लिखाई में भी दिक्कत हो रही है अधिकारियों से कहते हैं तो वह बोलते हैं कि कटौती है ऊपर से ही हमको आदेश है कहीं कोई सुनवाई नहीं करता है मनमाने ढंग से कटौती की जा रही है इस प्रशासन में नियम कानूनों की धज्जियां उड़ रही है कहीं कोई सुनने वाला ही नहीं है जहां देखो वहां भ्रष्टाचार ग्रामीण लोग बिजली कटौती से बहुत परेशान है कहीं कोई सुनता नहीं है मनमाने ढंग से कटौती करते हैं और अनुमानित तौर पर बिल थमा रहे हैं बीपीएल धारकों के ₹500 मंथली बिल आ रहे हैं जबकि शासन की तरफ से बीपीएल धारकों के ₹200 प्रति माह आना चाहिए जबकि बिजली विभाग अनुमानित बिल लोगों को थमा रहे हैं जो इतनी लोगो की बिल भरने की क्षमता भी नहीं गरीब लोगो की ऐसा मनमाने तरीके से बिल दे रहे हैं और इसके अलावा बिजली भी लोगों को नहीं मिल रही है इस तरह से भ्रष्टाचार चल रहा है इस भाजपा प्रशासन में कहीं किसी की कोई सुनता नहीं ना किसी अधिकारी कर्मचारी पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही करता है जहां देखो वहां भ्रष्टाचार फैला हुआ है