रिपोर्ट धीरज वाघेला थांदला (झाबुआ)
कैलाश पिता बादर रावत निवासी रूपगढ़ तहसील थांदला को सिविल हॉस्पिटल में 7:30 बजे 100 दयाल से सिविल हॉस्पिटल में एडमिट किया था जिसके चलते कैलाश का उपचार के तौर पर ऑपजरवेशन मे रखा था जिसके चलते नहीं कैलाश को ऑक्सीजन मार्क्स में रखा था ओर नहीं कैलाश का उपचार चल रहा था बाद में अनिल डामोर ने जनपद अध्यक ललिता मुणिया कि पति को कॉल किया तो तुरंत वहां पहुंचे उस के बाद कैलाश को तुरंत झाबुआ रेफर किया थांदला मे कैलाश को सिर्फ़ उसे उपचार के तौर पर एक बोतल लगाई गई थी उस के बाद नहीं कैलाश की ओर देखा गया ओर नहीं कुछ उपचार किया गया बाद में उसे एक्सरे की पर्ची थमा दी उसके बाद नहीं कुछ उपचार किया गया जब हमने अनिल राठौड़ B M 0 से भी चर्चा कि तो पता चला कि अनिल राठौड़ B M 0 से भी लापरवाही हुई ओर ओर जब पत्रकारों ने कॉल किया तो अनिल राठौड़ को ओर संजय कटारा ने नहीं कॉल उठाया ओर नहीं कॉल किया ओर नहीं कुछ जवाब जिसके बाद हमने मनीष सर को लगाया ओर सर ने तुरन्त उसको देखते हुए करवाई कर कैलाश को झाबुआ रेफर कर दिया गया थांदला के स्वास्थ्य विभाग इतना लापरवाह मे है तो आम जनता की क्या हालत होती होगी जब उनके इसके बाद संपर्क किया तो बाद में ओर नहीं कुछ एडमिट कराया गया जिससे चलते सीतरू पति बादल रावत ने बताया के हम रात मे 9 बजे हॉस्पिटल मे पहुंचा गए जब कैलाश पिता बदर रावत को एक बटल चल रही थी जिसके बाद सुबह मे कुछ उपचार के तौर पर कुछ नहीं किया गया क्या आदिवासी भाइयों और शहरी क्षेत्र वाले इलाज के लिए दाहोद जाते रहेंगे