भैंसदेही :- माजरवानी में निमाड़ के प्रसिद्ध संत सिंगाजी महाराज के परचरी पुराण का वाचन किया जा रहा है। इसमें सिंगाजी महाराज के जीवन चरित्र और उनके शरीर त्यागने तक महता बताई जा रही है। भैंसदेही के समीप ग्राम माजरवानी के ( पिडर पांडरी ) में श्री सिंगाजी महाराज दरबार मे आयोजित परचरी पुराण कथा में कथावाचक सुश्री चेतना भारती (मंडलेश्वर) ने संत सिंगाजी महाराज के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा बाल्यकाल से यौवन अवस्था तक जो चमत्कार हुए उन्हें विस्तार से समझाया। एव सिंगाजी महाराज के अनेक लीलाओं के बारे में बताते हुवे। कहा कि सिंगाजी महाराज की माता जी गौरा बाई जिन्होंने दो किमी दूर दुग्ध की धारा सिंगाजी महाराज के मुख मण्डल तक पहुचाई गयी थी। और तांत्रिक की गलतियों को माफ कर दिया गया था। जिसके बाद तांत्रिक माताजी और महाराज के शरण मे आया तो उसे छमा कर दिया गया। बाल्यावस्था का मनोहारी दृश्य का बखान कर महाजराज की बाल अवस्था का परिचय दिया गया। साथ ही। यह संदेश मिला कि भगवान की महिमा को झोपड़ी झोपड़ी और खोपड़ी खोपड़ी तक पहुचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंगाजी महाराज द्वारा जमीन में गड्ढा करते वक्त एक जीव कट गया था। संत सिंगाजी महाराज ने उस दिन उपवास किया और प्रभू भक्ति में लीन हो गए। उन्होंने परमात्मा से क्षमा याचना करते हुए कहा कि हे प्रभू मेरे द्वारा एक जीव ब्रह्म हत्या हुई है। शरद पूर्णिमा की राात्रि में भोर के समय स्वयं परब्रह्म परमात्मा ने चतुर्भुज रूप में सिंगाजी महाराज को दर्शन देकर जगाया और कहा कि जीस जीव का तुम दुख मना रहे हो वह जीव जीवित है। इसके बाद सिंगाजी महाराज को दृढ़ विश्वास होता जाता है कि परमात्मा उनके साथ हैं। सिंगाजी महाराज द्वारा नतमस्तक होने पर प्रभु प्रसन्ना होकर वरदान मांगने की बात कहते हैं। सिंगाजी महाराज ने इतना ही कहा कि आपके दर्शन कर मेरा जीवन धन्य हो गया। कथा श्रवण के लिए आसपास से ग्रामीण बढ़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बता दे कि ग्राम माजरवानी में संत सिंगाजी महाराज की परचरी पुराण का आयोजन किया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा कथावाचक सुश्री चेतना भारती का स्वागत कर परचरी पुराण का श्रवण किया। निमाड़ के चमत्कारी निर्गुण संत सिंगाजी महाराज की लीलाओ का वर्णन भी किया गया। ग्रामीणों के सहयोग से यहां संत सिंगाजी की परचरी पुराण का आयोजन किया गया है।