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मध्य प्रदेशशाजापुर

त्रिवेदी परिवार के पास है हजारों साल पुरानी किताबों का खजाना हजारों साल पहले क्या थी ग्रहों की स्थिति पलभर में बताते हैं पं. त्रिवेदी 

 

 

शाजापुर। प्राचीन धार्मिक ग्रंथ और किताबें इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इन्हें सालों तक सहेजना आसान नहीं होता। लेकिन शाजापुर में रहने वाला त्रिवेदी परिवार अपने घर पर बने पुस्तकालय मैं कई धार्मिक प्राचीन किताबों का संग्रह करता आया है इसमें सबसे महत्वपूर्ण है सैकड़ों वर्ष पुरानी श्रीमद्भागवत पुराण की किताब..यह संस्कृत भाषा में लिखी गई है और इसका अनुवाद भी संस्कृत भाषा में ही किया गया है।

त्रिवेदी परिवार श्रीमद्भागवत पुराण सहित अन्य कई प्राचीन धार्मिक किताबें पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजता आ रहा है। श्रीमद्भागवत पुराण के बारे में परिवार को अधिकृत तौर पर तो नहीं पता की यह किताब कितनी पुरानी है लेकिन त्रिवेदी परिवार की तीन पीढ़ियों ने इस किताब को संभाल रखा है। ज्योतिषाचार्य पंडित जितेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि हमारा परिवार पिछली कई पीढ़ियों से वेद शास्त्र, कथा, श्रीमद्भागवत, ज्योतिष सहित अन्य पूजन, अनुष्ठानों का कार्य करता आ रहा है। परिवार के मुखिया रहे मंगल पौराणिक कथा और ज्योतिष के प्रकांड विद्वान थे उन्हें भागवत चूड़ामणि की उपाधि भी दी गई थी। उसी परंपरा का निर्वहन उनके बेटे बृजवल्लभ त्रिवेदी ओर अब उनके बेटे जितेंद्र त्रिवेदी कर रहे है।

82 वर्षों के ज्योतिष पंचांग भी हैं उपलब्ध..

त्रिवेदी परिवार के पुस्तकालय में वर्ष 1940 से लेकर 2022 तक के ज्योतिष पंचांग उपलब्ध है। इन पंचांग के जरिए पिछले कई सालों से शुभ मुहूर्त और ज्योतिषी सलाह दी जाती रही है। पुराने कई वर्षों के दौरान काल समय की क्या स्थिति रही थी उसे इन पंचांग के जरिए आज भी देखा जा सकता है। दैनिक दिनचर्या से लेकर पूजन और विशेष कार्य के लिए पंचांग बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

पुस्तकालय में है एक हजार से ज्यादा किताबें उपलब्ध हैं..

घर पर बनाए गए इस पुस्तकालय में अनेक प्राचीन और दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह किया गया है। 1860 में प्रकाशित आयुर्वेद की प्रथम आवृत्ति अमृत सागर वैध ग्रंथ उपलब्ध है जो वर्तमान समय में दुर्लभ है,इस पुस्तक में आयुर्वेद की प्रमुख सूत्रों और तत्वों की व्याख्या है। इसके अलावा शिव महापुराण, विष्णु महापुराण, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, महाभारत सहित ज्योतिष के अनेक ग्रंथ मौजूद हैं। इसके अलावा साहित्य, कला, विज्ञान और शास्त्रीय संगीत से भी जुड़ी सैकड़ों पुस्तकें उपलब्ध है।

आज तक नहीं बेची कोई किताब

धार्मिक किताबों के इस निजी पुस्तकालय के प्रति कई लोगों की रूचि है और कई लोग श्रीमद्भागवत पुराण की प्राचीन प्रति और अन्य किताबों को खरीदने के लिए कई लोग त्रिवेदी परिवार के पास पहुंचते हैं लेकिन त्रिवेदी परिवार इस आध्यात्मिक विरासत को अनमोल मानता है और किताबों की बिक्री से साफ इंकार कर देता है। हालांकि यहां पहुंचने वाले लोगों को पढ़ने के लिए निशुल्क तौर पर किताब और जानकारियां सहज तौर पर उपलब्ध करा दी जाती है।

 

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