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बलात्कार के आरोपी और अवैधानिक तरीके से नियुक्त प्रोफेसर राकेश सिंह को किया गया निलंबित

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के इतिहास विभाग की एक शोध छात्रा ने इतिहास विभाग के ही प्रोफेसर राकेश सिंह के विरुद्ध ऐसा आरोप लगाया जिससे गुरु- शिष्य का पवित्र रिश्ता कलंकित हो जाता है। शोध छात्रा ने प्रोफेसर सिंह के विरुद्ध दुष्कर्म और पी एच डी कोर्स वर्क परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा के पूर्व ही बात देने का आरोप लगाया।
शोध छात्रा की शिकायत पर प्रोफेसर राकेश सिंह के विरुद्ध गत दिनों बलात्कार के आरोप में महिला थाना, शहडोल में अपराध क्रमांक 016/21 के तहत भा0 द0 वि0 1860 की धारा 376, 376 (2F), 376 (2N), 506 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कराया था। इससे पूर्व आरोपी प्रोफेसर के विरुद्ध फेसबुक पर भगवान को जूता मारने जैसी अभद्र टिप्पणी करके हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उपरांत थाना अमरकंटक में भी अपराध क्रमांक 80/21 के तहत भा0 द0 स0 की धारा 151 (A), 505 (2), 295(A) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। इतना ही नही उस शोध छात्रा ने प्रोफेसर राकेश सिंह के विरुद्ध शोध कोर्स वर्क परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट करने की भी शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से किया था।

 

आखिर आरोपी प्रोफेसर क्यों है पुलिस के चंगुल से बाहर?
जब से शहडोल में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज है तब से आरोपी प्रोफेसर फरार है। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा गिरफ्तार न करने का अंतरिम आदेश मिलने पर आरोपी प्रोफेसर ने अपना कार्यभार पुनः ग्रहण कर लिया था परंतु अभी कुछ दिन पहले ही अग्रिम जमानत निरस्त होने पर पुनः फरार हो गया।

विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने आरोपी प्रोफेसर को किया निलंबित
शहडोल पुलिस ने तो प्रोफेसर राकेश सिंह को अभी तक गिरफ्तार नही किया परन्तु जनजातीय विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए आरोपी प्रोफेसर राकेश सिंह को हाल में ही निलंबित कर दिया है और बिना प्रशासनिक अनुमति के आरोपी को मुख्यालय न छोड़ने का आदेश दिया है। परंतु मिली जानकारी के अनुसार आरोपी प्रोफेसर निलंबन आदेश के पहले से ही मुख्यालय से फरार है।

क्या प्रोफेसर राकेश सिंह के अवैधानिक और नियम विरुद्ध नियुक्ति की भी होगी जांच?
संभावना जतायी जा रही है कि प्रोफेसर राकेश सिंह की नियम विरुद्ध नियुक्ति की भी जांच होगी। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमावली 2010 के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए शोध निर्देशन का अनुभव अनिवार्य योग्यता थी , परंतु विश्वविद्यालय के गलियारों में चर्चा है कि प्रोफेसर राकेश सिंह ने नियुक्ति से पूर्व किसी भी विद्यार्थी का शोध निर्देशन नही किया था।

सी0 बी0 आई0 जांच रिपोर्ट के ऊपर होगी कार्यवाही कब?
वर्ष 2011 और 2012 में जनजातीय विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों में भ्रस्टाचार के विरुद्ध सी0 बी0 आई0 जांच हुई थी। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन के पास सी0 बी0 आई0 जांच रिपोर्ट मौजूद होते हुए भी उसके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही अभी तक नहीं किया जाना विश्वविद्यालय के कुलपति की नियति के ऊपर सवाल खड़ा कर रहा है। आखिर विश्वविद्यालय प्रशासन सी बी आई रिपोर्ट को लेकर कब तक रखेगा मौन व्रत?

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