अधीक्षक , विकास खंड कार्यालय में पदस्थ तिवारी बाबू का अभय दान मिल रहा है
आशीष नामदेव शहडोल ब्यूरो
बुढ़ार। विकास खंड के अंतर्गत संचालित होने वाले सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास बरतर जो की 50 सीटर है जहां की उपस्थिति कभी भी 15 छात्रों से ज्यादा कभी भी देखने को नहीं मिली, यहां की स्थिति यह है कि विधालयनीय छात्रों को प्रतिदिन केवल चावल,आलु की सब्जी खिलाकर खानापूर्ति की जा रही है, यहां तक कि राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के दिन भी मीनू के आधार पर स्वरुचि भोज तक छात्रों को नसीब नहीं हुआ।
दुरस्त गांव में होने वाले आदिवासी छात्रावासों में प्रभारी अधीक्षकों के द्वारा प्रत्येक दिवस हास्टल में नहीं पहुंचते हैं और पड़ोसी की चपरासी के भरोसे छात्रावास को छोड़कर चले जाते हैं, छात्रावासी छात्रों को भोजन आहार में क्या दिया जाता है इस बात की भी कोई जानकारी नहीं रहती है। हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर पर स्थित आदीवासी सीनियर छात्रावासों की है जहां छात्रों के साथ शासन की मंशानुरूप कार्य नहीं किया जा रहा है।
छात्रों ने बताया
सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास के प्रभारी अधीक्षक शीतल सिंह जो कभी-कभी छात्रावास आते हैं और हमेशा शराब के नाशे में रहते हैं, दैनिक वेतन भोगी राजभान सिंह के भरोसे छोड़कर चले जाते हैं,जो प्रत्येक छात्र के बीच केवल 100 ग्राम चावल और आलू 50 ग्राम की सब्जी खिलाकर खानापूर्ति कर रहे हैं। इन्हें विकास खंड कार्यालय का अभय दान मिला हुआ है जिसमें प्रमुख रूप से तिवारी बाबू की अहम भूमिका खुलकर सामने आ रही है।
इनका कहना है
मौके पर भेज कर जांच करवाते हैं
आंनद सिन्हा सहायक आयुक्त आदिवासी जनजाति विभाग शहडोल
में अभी कलेक्टर मीटिंग में हूं कल बात करता हूं
दिलीप निगम, विकास खंड शिक्षा अधिकारी बुढ़ार