सुदर्शन टुडे न्यूज़ ब्यूरो चीफ खरगोन
खरगोन वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत जिले के 8 वन परिक्षेत्र में आने वाले 65 वनग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित शीघ्र किया जाएगा। भगवानपुरा, झिरन्या और बड़वाह तहसीलें सुदूर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के रूप में जानी जाती है। यहां के कई गांव व फलियां वनग्राम के रूप में आते हैं। ऐसी स्थिति में यहां के कई गांवों में सड़के, स्कूल, आंगनवाड़ी या नेटवर्क के लिए टॉवर जैसे आधारभूत कार्य नहीं हो पा रहे थे। लेकिन अब इन तहसीलों के 65 गांवों को जल्द ही राजस्व गांव के रूप में जाना जाएगा। जिससे यहां भी पंचायते और प्रशासन अपनी विकास योजनाओं व आधारभूत संरचनाएं स्थापित कर सकेगी। भू अभिलेख कार्यालय द्वारा इन गांवों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। भू-अभिलेख अधीक्षक श्री पवन वास्केल ने बताया कि परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अंतर्गत जिले के 65 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में संपरिवर्तन किये जाने का निर्णय लिया गया है। अधिनियम की धारा-3 (1) (ज) के प्रावधान के अंतर्गत जिला वनाधिकार समिति की 10 नवंबर को हुई बैठक में राजस्व ग्राम के रूप में परिवर्तन के लिए वनाधिकार दावों को मान्य किया है। अधिसूचना जारी होने के 2 सप्ताह के भीतर किसी जनसमुदाय, संस्था या अन्य को कोई आपत्ति हो तो जनजातीय कार्य विभाग में निर्धारित समय में प्रस्तुत कर सकते है। भगवानपुरा तहसील के 23, झिरन्या तहसील के 35 और बड़वाह तहसील के 7 गांवों के लिए अधिसूचना जारी की गई है। भगवानपुरा में सिरवेल-बिस्टान वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 8-8 पंचायतें और बरुड वन परिक्षेत्र में आने वाली 3 पंचायतें शामिल है। इसी तरह झिरन्या तहसील में तितरन्या की 32 और चिरिया वन परिक्षेत्र की 3 पंचायते तथा बड़वाह तहसील में वन परिक्षेत्र बलवाड़ा की 4, काटकूट की 2 और बड़वाह की एक पंचायतें शामिल है।