Sudarshan Today
कटनीमध्य प्रदेश

नम्र फाइनेंस मार्कसीट रखकर नहीं करती वापस, कर रही युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद, जान गवाने की युवा कर रहे कोशिश

 

 

 राजेंद्र खरे कटनी

 

नम्र फाइनेंस नव युवाओं की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही हैं यह शीर्षक किसी फिल्म का नहीं युवाओं की ज़िंदगी से खेल रही नम्र फाइनेंस का हैं। नम्र फाइनेंस जो की ग्रामीण क्षेत्रों में लोन देने का काम करती हैं तो जिनके कारण कंपनी का नाम सातों आसमान छू रहा हैं तो वहीं कंपनी एवं उनके उच्च अधिकारी युवाओं की ज़िंदगी को खराब करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

बहरहाल नम्र फाइनेंस ओरिजनल मार्कशीट जमा करवाती हैं ताकि नवयुवा कंपनी में दबाव बस कार्य कर सके, कंपनी के नियमानुसार कंपनी को छोड़ते समय 1 माह के इंटीवेशन करने के बाद 45 दिन में मार्कशीट जिम्मेदार व्यक्ति को मिल जानी चाहिए ताकि उसके बाद का समय उसका खराब न हों सके और युवा अपनी जिंदगी का अमूल्य समय किसी और जगह पर रोजगार के लिए दे सके पर नम्र फाइनेंस में ऐसा नहीं है वो युवाओं की मार्कसीट को अपनी मार्कशीट समझ रहे हैं तभी तो समय पूर्ण हो जाने के बाद भी मार्कशीट अभी तक नहीं दे रहे हैं।

शिकायतकर्ता गौरव पांडेय एवं विनीत त्रिपाठी का कहना हैं कि सालों बीतने लगे पर हमारी मार्कशीट का पता नहीं है हमको ऐसा लगता हैं जैसे नम्र फाइनेंस के उच्चाधिकारी हमारी मार्कशीट को बाजार में बेचकर मोटी रकम रखकर अपनी जेबें गरम कर ली है जो कि नौकरी वहीं करता है जो ज्यादा मजबूर होता हैं पर यह कहा दिखाई देता है नम्र फाइनेंस के जिम्मेदारों को लगाकर मिन्नते करते हुए भी मार्कशीट आज तक नहीं मिली वही मार्कशीट न मिलने के कारण विनीत त्रिपाठी के द्वारा आत्महत्या करने की कोशिश की गई और कहा गया कि में अपना जीवनयापन कैसे करूं।मेरी जब मार्कशीट नही मिल रही तो मुझे कोई दूसरी कंपनी काम भी नहीं दे रही है इससे अच्छा तो यही है कि में अपना जीवन ही समाप्त कर दूं , बड़ी मुश्किल से घर वालों के समझाने पर विनीत त्रिपाठी ने खुद खुशी करने से माना अब सोच सकते हैं कि मामला कितना गंभीर है।

गौरतलब हैं, कि- गौरव पांडेय एवं विनीत त्रिपाठी नम्र फाइनेंस में पूर्ण लग्न के साथ एक वर्ष तक काम किया। कंपनी के नियमानुसार एक माह तक इंटीवेशन भी किया है, हलाकि लीविंग एवं इंटीवेशन का पैसा मिल गया है, लेकिन 10 माह से उनकी मार्कशीट नही मिल पाई है, जब कंपनी के उच्चाधिकारियों से इस विषय में बात की जाती है तो एक- एक हफ्ते को बोलकर 8 माह से लटकाकर रखा हैं। ऐसा नहीं हैं कि केवल एक व्यक्ति हैं 55 लोगों की मार्कशीट नही मिल पाई है ऐसा लग रहा हैं जैसे नम्र फाइनेंस के उच्चाधिकारी मार्कशीट को बाजार में बेचकर मोटी रकम अपने जेब में रख दिए हों कही न कही नम्र फाइनेंस के उच्चाधिकारी संदेह के घेरे में है। अगर चंद दिनों के अंदर मार्कशीट वापस नहीं की जाती तो आगे की कानूनी कार्यवाही की जायेगी एवं कोर्ट लगाकर कंपनी को जितने दिन गौरव पांडेय एवं विनीत त्रिपाठी घर में बैठे थे कंपनी को इनका हरजाना देना होगा अगर इनको कुछ होता हैं तो इसकी जिम्मेदार कंपनी होगी क्योंकि ये लगातार आत्महत्या की कोशिश कर रहे हैं।

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