राहुल गुप्ता की रिपोर्ट
राजपुर– मध्यप्रदेश में प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक आए दिन नई नई जानकारियों के फेर में उलझे रहते हैं जानकारियां इतनी होती है कि वह चाहे भी तो बच्चों को पढ़ाने का समय बहुत कम दे पाते हैं एक तरफ शासन शैक्षणिक गुणवत्ता पर बहुत जोर दे रहा है और बड़े-बड़े अधिकारी इस पर उपदेश दे रहे हैं किंतु जमीनी हकीकत यह है कि शिक्षकों को इतनी जानकारियों के बोझ के तले दबा दिया गया है कि वह जानकारियों के फेर में ही पड़े रहते हैं उनका ज्यादातर समय जानकारियां बनाने में ही चला जाता है ऐसे में गरीब बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है | शिक्षकों से प्राप्त जानकारी अनुसार जानकारी ली गई कि यह कौन कौन सी जानकारी आई है जिससे पता चला कि हाल में ही विधानसभा के तारांकित प्रश्न क्रमांक 745 मैं जानकारी मांगी गई है कि विगत 7 वर्षों मैं कितने छात्रों को गणवेश पाठ्यपुस्तक वह साइकिल दी गई थी यह जानकारी छात्र बार मांगी गई है जो कि कंप्यूटराइज सॉफ्ट कॉपी में चाही गई है इस जानकारी में प्रत्येक शाला से 7 सालों के जो अध्ययनरत बच्चे थे उनके नाम वार्ड जानकारी जाएगी जोकि कंप्यूटराइज कराना है ऐसे में शिक्षक कंप्यूटर सेंटर पर जाकर जानकारियां बनवा रहे हैं जिसका ख़र्च भी स्कूल को वहन करना है लाखों छात्रों के नाम लिखे जाएंगे वह जानकारी तैयार होगी इस जानकारी के लिए शिक्षक विगत 1 सप्ताह से परेशान होकर जानकारियां बना रहे हैं चुकी विधानसभा की जानकारी ले ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए शिक्षक सब काम छोड़कर जानकारियां तैयार करने में लगे हैं ऐसे में प्रश्न यह उठता है की गरीब बच्चों की शिक्षा का कोई मतलब नहीं है शिक्षा विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता है क्योंकि शासकीय स्कूलों में गरीबों के बच्चे जो पढ़ते हैं | शैक्षणिक गुणवत्ता का भिंडोरा केवल कागजों में पीटा जाता है | इन जानकारियों पर कमी पाई जाने पर उचित कार्यवाही होगी या कागजो के बंडल बन कर रद्दी के काम आएंगे।