सुदर्शन टुडे भास्कर पाण्डेय एम.पी.हेड..
गोरखपुर -करंजिया विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत काटीगहन के गांव खमरिया के चार वार्डों के लगभग 85परिवार के 450 की जनसंख्या वाले रहवासियों के सामने पेयजल की विकराल स्थिति हैं यहां के निवासी बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज हो रहें हैं विडंबना का आलम यह हैं कि जब लोगों को भीषण गर्मी में गला तर करने को जब स्थानीय लोगों को स्वच्छ जल नहीं मिला तो प्यासा रहकर मरने की बजाय उन्होंने गंदा मटमैला पानी पीकर जान बचाना उचित समझा और वो ऐसा कर रहे हैं वैसे कहने को गांव में कुएं और हैंडपंप है लेकिन यह सब जल स्त्रोत प्रचंड गर्मी के प्रकोप से दम तोड़ चुके हैं यघपि इन जलस्रोतों में उतना पानी नहीं हैं जितना ग्रामीणों की जरूरत है हालांकि ग्रामीणों के लिए ऐसा पहली बार हुआ हैं ऐसा नहीं हैं वें लंबे समय से इस गंभीर समस्या का आमना सामना कर रहें हैं इसके निदान के लिए शासन प्रशासन तक आवाज उठाया है लेकिन समाधान नहीं किया गया इस कारण ग्रामीणों में आक्रोश हैं आखिरकार उन्होंने जिला प्रशासन से मांग किया हैं कि उनकी समस्या का समाधान कर अविलंब गांव में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था किया जाएं।घाट के नीचे से लातें हैं पानी -ग्राम के विश्राम बघेल जेहर पंद्राम सुखराम पड़वार सहित अन्य लोगों ने अपनी पीड़ा बयान करते हुए बताया कि जनप्रतिनिधि सुविधा देने के नाम पर वोट मांगने आतें हैं अब तक यहीं होते आया हैं कि जीतनें के सुविधा तो नहीं मिला बल्कि पांच साल तक उनके दर्शन दुर्लभ हो जातें हैं हम पेयजल के लिए कितने कठिन प्रयास से पानी लाना ले जाना करतें हैं हमीं जानते हैं एक किमी दूर घाट केनीच पर बने कुएं तक जाकर पानी भरें बर्तनों को लेकर घाट चढ़ने में किस तरह की परेशानी होती हैं जरा कल्पना करके देखिए ग्राम के लोगों ने बताया कि वर्तमान में गांव की वसाहट 2 टोला मोहल्ला के बीच में है जिसमें से एक ऊपर टोला है इस टोला मोहल्ला गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर के नीचे बने हुए पानी लाकर पेयजल की पूर्ति करते हैं ग्रामीणों को इसके लिए उतर कर पानी लेकर चलना पड़ता है फिर पानी भरे बर्तनों को सर पर रख कर उतनी ही चढ़ाई चढ़ना पड़ता है पथरीले रास्ते से चढ़ाई के दौरान यदि संतुलन बिगड़ गया तो नीचे लुढ़कने से कोई नहीं रोक पाएगा यानि जान जोखिम में डाल पीने के पानी का इंतजाम किया जाता हैं पर क्या कर सकते हैं दूसरा कोई विकल्प नहीं हैं । कुएं सूखें काम नहीं आ रहा हैंडपंप – ग्राम के सरवन श्याम रतिराम मरावी संदीप कुशराम ज्ञान मार्को खेलन कुशराम नरेश पट्टा शिवराज धुर्वे ने आक्रोशित अंदाज में कहा कि ऐसा नहीं हैं कि गांव के अंदर कुएं और हैंडपंप नहीं हैं कुएं भी हैं हैंडपंप खनन किया गया हैं मगर लगभग सभी कुओं में जलस्तर की एक सी स्थिति हैं सभी कुएं सूखने के कगार पर हैं आमजन को एक एक गुंडी पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता हैं तब कहीं जाकर पीने का पानी मिलता हैं गौरतलब हैं कि गांव के अंदर जलस्तर जमीन में सरक जानें के कारण पानी का पर्याप्त रिसाव नहीं हो रहा हैं इसलिए समस्या बन रहा हैं दूसरा पेयजल आपूर्ति के लिए पंचायत ने भी कोई प्रबंध नहीं किया जबकि पंचायत की जिम्मेदारी हैं कि यदि कहीं जलसंकट की समस्या हैं तो टैंकर से पानी भेजा जा सकता हैं परंतु यहां इस तरह की व्यवस्था क्यों नहीं की गई सोचनीय हैं बहरहाल गांव में जो हैंडपंप स्थापित खड़े हैं वे अपनी पूरी क्षमता के साथ पानी निकालने में असमर्थ हैं। या उनसे मटमैला पानी बाहर आ रहा हैं गांव के अंदर हैंडपंप की स्थिति यह है कि आबादी के अंदर वाला हैंड पंप पूरे तौर पर बंद हैं हैंडल वगैरह भी खोल दिया गया हैं एक हैंडपंप है गांव के मुहाने के पास जिसमें गंदा पानी निकलता हैं लोग मजबूरी में इसी गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहें हैं ।मेहमान आने के नाम से डरते हैं – खमरिया के ब्रजवती मार्को प्रीति मार्को सावित्री श्याम लेखवती श्याम प्रेशकली मार्को गंगोत्री कुशराम ने बताया कि गांव के गर्मी के दिनों में प्रतिवर्ष पेयजल संकट की यहीं स्थिति बनतीं हैं स्थानीय लोग बामुश्किल अपने उपयोगों के लिए पानी का इंतजाम कर पातें हैं ऐसे मौके पर लोग ईश्वर से यही मनातें हैं कि जब तक गांव के अंदर जलसंकट रहता हैं तब तक उनके घरों में कोई मेहमान मेहमाननवाजी करने न आएं नहीं तो उसके लिए पानी का इंतजाम कैसे किया जाएगा लोगों ने बताया कि वें मेहमान आने की सूचना पर डर जातें हैं क्योंकि दिन का आधा हिस्सा तो शाम के घर परिवार के लिए पानी के इंतजाम मैं बीता है यह ऊपर से मेहमान आ गए तो और दोगुनी मुसीबत वैसे भी उन्हें अपने बड़े सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बाहर से पानी खरीदना पड़ता हैं तब जाकर कार्यक्रम संपन्न होता हैं ।