राहुल गुप्ता की रिपोर्ट
राजपूर-: अधिकारी तो अधिकारी होता है वही छोटे कर्मचारी (चपरासी) की क्या मजाल कि किसी कार्य करने को अधिकारी कहें और छोटा कर्मचारी मना कर दे क्योंकि उसे हमेशा उसी के नीचे कार्य करना होता है जिसके डर से वह वह कार्य भी करता है जो कि शासकीय नौकरी में नहीं आता की किसी अधिकारी के निजी वाहन को धोना पड़े वही मनमानी इतनी है कि शासकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर अपनी निजी वाहन को भी एक शासकीय कर्मचारी से धुलवाते हैं वही पहले भी खबर लगी थी कि मेन गेट पर गाड़ी पार्किंग करते हैं साथ ही अब तो कर्मचारियों को भी अधिकारियों की नौकरी के डर से उन्हें निजी वाहनों को भी धोना पड़ता है पता नहीं कब तक ऐसे कार्य करना होंगे नहीं यह कोई जवाबदार क्योंकि अधिकारी तो अधिकारी है समय से पूर्व जाना इनकी फितरत बन गयी है मुख्यालय पर न रहना वही लाखो सेलरी होने के बावजूद भी कर्मचारीयो से गाड़ी धुलवाते हुए इन्हें थोड़ा भी फर्क नही पड़ता । चलो देखते है अब इस खबर का कितना असर उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने से क्या होता है । हाथ मले बैठेंगे उच्च अधिकारी या करेगे इस पर कोई कठोर कार्यवाही।