Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर हुआ परिचर्चा का आयोजन नेहरू पार्क गुना में

सुदर्शन टुडे गुना

।।मीशा बंदी राकेश मिश्रा बोल मानव अधिकार दिवस को सिर्फ औपचारिकता के तौर पर नहीं मानना चाहिए।।

सीपीडीआरएस कमिटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ डेमोक्रेटिक राइट एंड सेक्युलरिज्म द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर रविवार को स्थानीय नेहरू पार्क में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राकेश मिश्रा ने बोले की मानव अधिकार दिवस को सिर्फ औपचारिकता के तौर पर नहीं मनाना चाहिए बल्कि मनुष्य की बेहतरी के लिए, बेहतर समाज बनाने के लिए काम करने की जरुरत है। लेकिन आज सांप्रदायिक विद्वेष, जाति विद्वेष लगातार बढ़ रहा है भ्रष्टाचार में भारत 180 देशो में 85 वे स्थान पर है, कट्टरता अंधविश्वासों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके खिलाफ लड़ने की जरुरत हैं प्रस्ताव प्रदीप आर बी ने रखा जिसे मनुष्य के हक में आवाज़ उठाने की बात के साथ सर्व सम्मति से पास किया गया। कि दुनिया के किसी भी हिस्से में हिंसा हो युद्ध हो उसके खिलाफ अमन की बात करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हम भारत के साथ विश्व नागरिक भी है।इस विषय पर बात करते हुऐ एडवोकेट मोहर सिंह और एडवोकेट पुष्पराग ने मानव अधिकारों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज वैश्विक स्तर पर फासीवादी प्रवृत्तियों की बात कही और मानवाधिकार बनने का इतिहास और लड़ने की जरुरत को बताया।जिससे मानव अधिकारों को संकुचित करने की साजिश भी बताया अन्य वक्ताओं में एडवोकेट महेश बैरागी, एडवोकेट सादिक बंटी , मनीष श्रीवास्तव, वकार मुर्तजा ,एडवोकेट जगबीर सिंह जरसोनिया, प्रदीप सेन ,एडवोकेट शोएब कुरैशी, ऐडवोकेट सीमा राय ने बात रखते हुए कहा की यूएनओ के मानव अधिकार घोषणा पत्र के साथ भारत की सहमति के 75 साल बाद भी लोकतंत्र के अधिकारों को लेकर लड़ना पड़ रहा है ,नागरिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता को रसातल में कई बार फेंक दिया जा रहा है लोकतंत्र सूचकांक में भारत फिसल कर 53 वे स्थान पर पहुंच गया है । 10 दिसंबर 1948 में मानव अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय घोषणा जारी हुई थी भारत देश उसे घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता बना था ।मानव अधिकारों की घोषणा में मानव अधिकार के सभी सदस्यों के समान अधिकार, गरिमा ,दुनिया में स्वतंत्रता, न्याय और शांति ,अभिव्यक्ति और अपने विश्वास को मानने की स्वतंत्रता में और अभाव से मुक्ति आदि को नियम द्वारा मानव अधिकार की सुरक्षा पर जोर दिया गया था लेकिन यूएनओ के मानव अधिकार घोषणा पत्र के बाद भी विधायिका में जनता की सहमति के बिना भी कानून पारित किए गए हैं ।इन कानून ,नीतियों ने मानव अधिकारों को नष्ट भी किया है । पेगासस भारत विवाद से सत्ता द्वारा निगरानी राज्य बन रहा है जो लोकतांत्रिक अधिकारों में अतिक्रमण को लाता है। मजदूरों के अधिकारों पर भी चर्चा की गई । श्रमिक सेवाएं बड़े पैमाने पर मजदूरों की छटनी कर रही है इन परिस्थितियों में मानव अधिकार की मांग, नागरिक अधिकारों पर दबाव बनाने ,धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं को बनाए रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की बेहद जरूरत है यह भारत के लोगों को और दुनिया को एकजुट होने का सही समय भी है मानव अधिकार दिवस के कार्यक्रम में कभी हरकांत अंतर्पित, मुबारक गुनाबी ने कविता के माध्यम से मानव अधिकार दिवस की प्रासंगिकता पर अपनी बात रखी। बैठक का संचालन लोकेश शर्मा ने किया आभार अख्तर खान द्वारा व्यक्त किया ।

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