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SILWANI

शिव परिवार एवं हनुमत प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम।।

संवाददाता। सुदर्शन टुडे सिलवानी

सिलवानी ।। सिलवानी नगर के पास के ग्राम रम्पुरा खुर्द में नव निर्मित मंदिर में श्री शिव परिवार एवं हनुमत प्राण प्रतिष्ठा के साथ ,श्रीमद् भागवत कथा का समापन हो गया ।उपरोक्त समारोह का आयोजन दिनांक 18 मई से 24 मई पर्यंत ,ग्राम राम्पुरा खुर्द में चल रहा था ।श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पंडित नरेश शास्त्री जी ने, श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करते हुए, व्यासपीठ से कहा कि, हमारी सनातन परंपरा में, मंदिरों के माध्यम से हम संस्कारों का आदान प्रदान करते हैं। मंदिर सनातन संस्कारों को सुदृढ़ करने का माध्यम और केंद्र होते हैं। हमारी संस्कृति में, परमात्मा की भक्ति और मूल्यों की रक्षा, किस प्रकार की जाए। युवा पीढ़ियों में संस्कार और धर्म आधारित ,शिक्षा किस ढंग से दी जाए। इन सभी बातों का मुख्य केंद्र ,मंदिर होते हैं। इसलिए मंदिरों को शक्तिशाली बनाना सनातन को शक्तिशाली बनाने जैसा पवित्र कार्य है। पंडित शास्त्री जी ने कहा कि व्यक्ति को चाहिए कि अपने जीवन की व्यस्त दिनचर्या में से ,सबसे पहले मंदिर के लिए समय निकालें। क्योंकि मंदिर से ही हमारा जीवन है। प्रातः काल और सायंकाल में ,मंदिर में आकर परमात्मा को प्रणाम करने से, हमारे जितने ज्ञात, अज्ञात पाप हैं, वह सब नष्ट हो जाते हैं। परमात्मा की कृपा हमें प्राप्त होती है ।आगे पंडित शास्त्री ने कहा कि युवा पीढ़ियों को यदि, धर्म से जोड़ने का कार्य, माता पिता को करना है, तो उन्हें मंदिर से जोड़ने का कार्य करें । वह अपने आप धर्म से जुड़ जाएंगे। उनके लिए श्रीमद् भागवत की कथा, रामायण की कथा, प्रतिदिन रामचरितमानस का पाठ करने की प्रेरणा ,माता पिता को प्रदान करते रहना चाहिए। जिससे कि बच्चों के अंदर धर्म को जानने की ताकत उत्पन्न होगी ।पंडित शास्त्री जी ने कहा कि राम और कृष्ण के चरित्र से ,भारतीय ऋषियों के योगदान से ,पीढ़ियां पूरी तरह परिचित होंगी, तो उनमें अपनी संस्कृति के प्रति, गौरव जागृत होगा। श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर ,पंडित शास्त्री जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम हैं, उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाओं के माध्यम से, हमारे जीवन का उद्धार हो जाता है। उन्होंने श्री कृष्ण, सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए, कहा कि मित्रता का पवित्र धर्म निर्वाह, यदि करना है तो, श्री कृष्ण जी और सुदामा जी की मित्रता जैसी ,पवित्र मित्रता होनी चाहिए। जिसमें किसी प्रकार का स्वार्थ नहीं होना चाहिए, बिना स्वार्थ के मित्रता करने से, मानव मूल्यों की रक्षा होती है। प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ में आचार्य भूपेंद्र शास्त्री जी के द्वारा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूर्ण किया गया। इस अवसर पर, कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालु जनों ने प्रसादी ग्रहण की।

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