झिरन्या से संवाददाता अंकुश अवस्थी की रिपोर्ट
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर और मतदाताओं की बदलती सोच का परिणाम 25 जून को सभी जगह मतपेटियों में बंद हो जाएगा। मगर चुनावी डांडा गढ़ते ही ग्रामों और फलियों में हलचल के साथ चुनावी रणनीति बनना शुरू हो गई है। शुक्रवार को नाम वापसी के बाद जैसे ही पूरी स्थिति स्पष्ट हुई। वैसे ही चुनाव प्रचार में भी तेजी आना शुरू हो गई। पंचायत स्तर के चुनाव का हर किसी पर खुमार छाया हुआ है। जिन प्रत्याशियों ने पंच, सरपंच और जनपद से लेकर जिले का नामांकन दाखिल किया है। वेसभी मतदाताओं के मन को टटोलने की कोशिश में लगे हुए हैं। तपती धरती और पसीने से भीगी काया के साथ बारिश आते-आते तक उम्मीदवारों को पूरा दमखम दिखाना होगा।
इस बार झिरन्या विकासखंड की कुल 76 ग्राम पंचायतो मैं चुनावी माहौल गरमाया हैं । हालांकि इनमें से कुछ में महिलाओं ने अपना नामांकन दाखिल किया है।राजनीति की मलाई सबके राल टपका देती है। इस समय ग्राम पंचायत चुनाव में सरपंच की कुर्सी हथियाने को हर कोई एक-दूसरे को मात देने पर तुला है। लेकिन जब एक ही घराने के लोग एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हों तो उसमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ जाती है।इस बार तो चाचा-भतीजे एक-दूसरे को मात देने की ताल ठोक रहे हैं। राजनीति में कब, कौन, कैसी और क्या चाल चले, पहले से कोई नहीं जान सकता है। ग्राम पंचायत के चुनाव में इस बार सगे संबंधी ही एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने लगे हैं।कई जगह तो ऐसी है जहां नामांकन करने से लेकर प्रचार करने के दौरान ही एक-दूसरे के रिश्ते में काफी तल्खी आ गई है। पिछले चुनाव में जिस उम्मीदवार के परिवार के लोग मदद में थे।अब उन्हीं घराने के लोगों ने एक-दूसरे के खिलाफ न सिर्फ चुनावी मोर्चा खोल दिया बल्कि खुद मैदान में उतर कर अपनों को मात देने के लिए कई तरह से किलेबंदी करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही आलम है बोरवाल पंचायत का जहां चाचा भतीजे आमने सामने मैदान में आए हैं