सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश कुमार)।
नौलखी धाम पर संपन्न हुए विराट प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, संत सम्मेलन, बाल्मीकि रामायण कथा और 33 कुण्डीय सीताराम महायज्ञ के 10 दिवसीय आयोजन में विभिन्न तीर्थ स्थानों से पधारे सैकड़ों संतों, साधुओं की सेवा के साथ-साथ नौलखी धाम के महंत राम मनोहर दास जी के मार्गदर्शन में आयोजन की विभिन्न व्यवस्थाओं में यथासंभव सहयोग प्रदान किया। मालूम हो कि नौलखी धाम पर संपन्न हुए विराट प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जगन्नाथपुरी से भगवान जगन्नाथ की पदयात्रा के आगमन से लेकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा तक नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में विभिन्न समाजों, धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के साथ-साथ गैर राजनीतिक संगठन और राजनीतिक संगठनों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हुए आयोजन को सफल बनाने में महत्ती भूमिका निभाई है। जिसके चलते आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा और 10 दिवसीय आयोजन निर्विघ्न संपन्न हुआ। युवा सेवादार अभिषेक तिवारी एवं गगन दुबे ने बताया कि यज्ञशाला के पीछे स्थित भोजशाला में युवा ब्राह्मण की 25 सदस्यीय टीम ने लगातार सेवा देते हुए रोजाना हजारों लोगों को भोजन परोसा तो वही श्रमदान दल की युवा टीम भी आयोजन स्थल पर निरंतर सेवा में लगी रही। शनिवार को आयोजित विशाल प्रसादी भंडारे में वंदे मातरम क्रिकेट एवं वेलफेयर क्लब के सदस्यों ने अपनी सेवाएं प्रदान की। तो वही युवा पत्रकार देवेंद्र रघुवंशी ने 10 दिनों तक आयोजन स्थल की पल-पल की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से देते हुए आयोजन के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और नागरिकों को इस धार्मिक महोत्सव में आने के लिए प्रेरित किया।
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संत सेवा समिति की साधु संतों ने की सराहना
रघुवंशी समाज के युवाओं ने एक बार फिर सेवा की अनूठी मिसाल कायम की है। साधु संतों ने समिति के सेवा कार्यों की सराहना करते हुए साधुवाद कहा है। नौलखी खालसा समिति ने रघुवंशी समाज को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आए संतों, साधुओं की सेवा की जवाबदारी सौंपी थी। यज्ञ के आयोजन के दौरान रघुवंशी समाज संत सेवा समिति में 50 से अधिक युवाओं की टीम ने यज्ञ स्थल के अलावा शहर में विभिन्न स्थानों पर ठहरे हुए संतों की सेवा के लिए सुबह से लेकर शाम तक मोर्चा संभालें रखा। संत सेवा समिति के सदस्य एड. हर्ष रघुवंशी ने बताया कि टीम के सभी सदस्यों ने सेवा के लिए आपस में अलग से धन संग्रह किया। संतों की सेवा में आश्रम से मिलने वाली व्यवस्थाओं से हटकर जो-जो सामग्री संभव थी उसको उपलब्ध कराया जा रहा था। शहर में अलग-अलग चार-पांच स्थानों पर रुके हुए संतों के लिए समाज के 15 युवा सेवा में थे। जबकि टीम के बाकी सदस्य यज्ञ स्थल पर सुबह 7 बजे से लेकर रात तक संत सेवा में उपलब्ध रहते थे। तीर्थ क्षेत्र से आए संतों ने भी रघुवंशी समाज संत सेवा समिति के सेवा कार्यों की सराहना कर सेवा में जुटे रहे सदस्यों के जीवन की उत्तरोत्तर उन्नति की कामना करते हुए आवश्यकता पड़ने पर धर्म कार्य के लिए प्रेरित किया।