मंडला ब्यूरो, नारायणगंज
जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली पंचायत अमदरा की रोजगार सहायक कृष्णा मरावी जो कि प्रभारी सचिव के पद पर अमदरा पंचायत में पदस्थ थी उन्होंने अपने कार्यकाल में 19 लाख ₹ से अधिक के भुगतान अपने पति के नाम कर दिये
पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत पंचायत में पदस्थ लोक सेवक या निर्वाचित सदस्य अपने सगे संबंधियों को सीधे कोई लाभ नहीं पहुंचा सकते, लेकिन ग्राम पंचायत अमदरा में 14 वे वित्त एवं 15 वे वित्त योजना एवं ग्राम पंचायत के अंतर्गत निर्माण कार्यों के भुगतान की राशि अपने ही पति के नाम कर दी
पति जो कि दूसरी पंचायत का निवासी है उसकी बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई की कथित फर्म है जिसका जी एस टी नंबर भी है जिस पर लाखों ₹ के भुगतान किये गए हैं, उक्त फर्जी कार्यों की जांच लगभग 2 वर्ष पूर्व की जा चुकी है और इसमें तत्कालीन प्रभारी सचिव एवं तत्कालीन सरपंच के साथ साथ वर्तमान सरपंच को भी आरोपी बनाया गया है और लगभग 20 लाख ₹ की वसूली किये जाने की बात कही गई
उक्त प्रतिवेदन जनपद के पी सी ओ द्वारा जाँच कर जनपद को भेजा जा चुका है
आज दिनाँक तक नहीं हुई किसी भी प्रकार की कार्यवाही
2022 में यह जाँच की गई थी और प्रतिवेदन जनपद में जमा किया गया था परंतु आज दिनांक तक प्रभारी सचिव पर न ही तत्कालीन सरपंच पर और न ही वर्तमान सरपंच पर जनपद द्वारा कोई भी प्रकार की कार्यवाही की गई
पंचायती राज व्यवस्था में ऐसे पूरे प्रावधान हैं जिसके आधार पर पारदर्षिता पूर्वक निर्माण कार्य संपन्न कराये जाएं और भुगतान ग्राम पंचायत समिति एवं ग्राम सभा के अनुमोदन के बाद ही हो लेकिन यहाँ ऐसा हो ही नहीं रहा है
जनपद के कर्मचारी और जन प्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
जाँच प्रतिवेदन में अलग अलग प्रस्तावों एवं भुगतान बाउचर के आधार पर अलग अलग तारीखों पर हुए भुगतान फर्जी बताया गया और वसूली करने की बात कही गई लेकिन आज दिनांक तक उक्त जाँच प्रतिवेदन के आधार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही जाँच प्रतिवेदन जिला पंचायत तक पहुँच पाया ।
जनपद पंचायत नारायणगंज मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं जाँच कर्ता अधिकारियों की मिली भगत से आज दिनाँक तक उक्त जाँच प्रतिवेदन कार्यवाही हेतु जिला पंचायत नहीं भेजा गया जबकि जाँच के दौरान सीधे गवन का मामला सिद्ध होना प्रतीत होता है सचिव एवं सचिव पति को जनपद के अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त होने के कारण दोषियों पर आज तक कोई भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो पाई है । इससे प्रतीत होता है कि एक मोटी रकम का गबन, कहीं मोटी रकम के चलते दब कर रह जायेगा । और इसी तरह से सरपंच सचिव पंचायत को लूटते रहेंगे।