स्थान। बालीपुर धाम
आज 1 अप्रेल सोमवार को मां शीतला माता की पूजा करके मनाया। भक्तों ने रात में ही महाआरती की, शीतला सप्तमी के दिन सभी भक्तों ने पूजा-अर्चना और व्रत रखे, जिससे उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सके।
मध्य रात्रि 3बजे से सुबह तक महिलाएं पूजा, दर्शन, वंदन करने शीतला माता मंदिर, बालीपुर धाम प्रंगाण सहित दूसरे स्थानों पर रात में ही महिलाएं पहुंचना प्रारंभ हो गई थीं। नगर के शीतला माता मंदिरों को भक्तों ने आर्कषक लाईटों से सजाया था। महिलाओं ने लाल साड़ी पहनकर घर में सुख शांति बरकत के लिए हल्दी से छापे मंदिर की दीवार पर लगाकर मन्नत लगाई। आज होली धूमधाम से मनाई गई
मंदिर के पुजारी ने कहा कि मां शीतला का व्रत करने से शरीर निरोगी होता है और गर्मी में होने वाले चेचक जैसे अन्य संक्रामक रोग से मां भक्तों की रक्षा करती हैं। सभी हिंदू घरों में रात को किचन की साफ सफाई कर स्नान करने के बाद खाना बनाते है।
शीतला सप्तमी के दिन नहीं जलता है घर का चूल्हा
शीतला सप्तमी के एक दिन पहले से ही घरों में कई तरह के पकवान बनाएं जाते हैं। शीतला माता के मंदिर जाकर महिलाओं द्वारा बासी भोजन का भोग माता को चढ़ाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से दही, रबड़ी, चावल, हलवा, पुरी, केर सागरी की सब्जी आदि का भोग लगाया गया। पूजा के बाद जहां गांव पर होलिका दहन हुआ था, वहां भी पूजा अर्चना की गई। आज शीतला सप्तमी पर चूल्हा नहीं जलता और ताजा खाना अगली सुबह से बनाया जाता है। यह पूजा माता शीतला का प्रसन्न करने के लिए कि जाती है, आने वाले समय में घर में सुख समृद्धि का वास हो।