मधुसूदनगढ़ – आर.एस.नरवर
महाकाल आश्रम मधुसूदनगढ़ में स्वामी श्री जगतगुरु रामानंदाचार्य जी का प्रकट उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया स्वामी जी मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन के महान सन्त थे। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंदाचार्य जी को जाता है। स्वामी जी ने क्षत्रीय रूप में वैष्णव बैरागी सम्प्रदाय की स्थापना की, जिसेे रामानन्दी सम्प्रदाय के नाम से भी जाना जाता है। जिनका जन्म माघ माह की सप्तमी संवत 1356 अर्थात ई. सन् 1300 को कान्यकुब्ज वैष्णव कुल में जन्म हुआ इनके पिताजी का नाम पुण्य एवं माता जी का नाम सुशीला देवी था स्वामी रामानंदाचार्य जी ने संवत् 1532 यानी सन् 1476 मैं अपने शरीर का त्याग किया उन्होंने पूरे भारतवर्ष में सनातन धर्म की अलख जगाई महाकाल आश्रम पर प्रकट उत्सव मनाया जिसमें समस्त वैष्णव बैरागी बंधु उपस्थित रहे
राष्ट्रीय प्रवक्ता आरती जी वैष्णव, संत श्री राधे राधे जी महाराज, मधुसूदनगढ़ वैष्णव समाज अध्यक्ष कान्हा वैष्णव
गिर्राज, घनश्यामदास जी, प्रकाशदास जी, जीवनदास जी, खेराड से रामस्वरूपदास पुजारी जी, धर्मेंद्र, आरोन से चंद्रेश, हिंगोना से भगवानदास पुजारी जी, चंद्रपुर केशव जी श्रीदास,
बारोद से हेमंत बैरागी राजू बैरागी, कुंभराज से कन्हैयादास शिक्षक गंगाप्रसाद, विष्णुप्रसाद मधुसूदनगढ़ से समस्त वैष्णव समाज क्षेत्रीय बंधु महाकाल आश्रम पर उपस्थित हुए जहां पर 16 वर्षों से अखंड अग्नि प्रज्वलित है और 14 वर्षों से अखंड ज्योति प्रज्वलित हो रही है