सुदर्शन टुडे न्यूज़ ब्यूरो चीफ खरगोन
*प्राकृतिक चिकित्सक ने प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद की मदद से कई पथरी के पीडितो को रोग मुक्त किया ।*
*खरगोन-मेडिकल साइंस में रोज नए-नए अविष्कार और चमत्कार सुने और देखें ही होंगे। लेकिन जब किसी अत्यंत पुरानी पद्धति, कला या व्यवस्था से वैसा ही परिणाम मिले तो यह कोई सामान्य नही है। हम बात कर रहे है पथरी (स्टोन) बीमारी के उपचार की। इस बीमारी का प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद में उपचार पहले से ही लेकिन इस पद्धति पर भरोसा न करते हुए,कई मरीज एलोपैथिक से उपचार लेते है। वही खरगोन जिले के खरगोन तहसील के बलवाड़ी पंचायत के प्रेमनगर के प्राकृतिक चिकित्सक और फार्मासिस्ट ने पथरी के निदान के लिए प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के मिश्रण से पथरी का सफल इलाज किया। प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक दवाई के परिणाम भी सार्थक रूप से सामने आए। ड़ॉ. कर्मा ने 15 दिनों के इलाज से ही झिरन्या ब्लाक की जामन्या दंड निवासी 28 वर्षीय महिला श्री मति आशा नरगावे की 14.9 एमएम की पथरी निकालने में सफलता पायी है।*
*आशा नरगावे को एलोपैथिक से नही मिला लाभ*
*जामन्या दड गांव की आशा नरगावे ने करीब 12 महिने पूर्व इन्दौर के अस्पताल से इलाज लिया था। मगर कोई विशेष लाभ नही मिलने से अपनी सहेली रेशमा के कहने पर खरगोन के डॉक्टर श्री कर्मा का इलाज लिया। डॉक्टर के 15 दिनों के उपचार के बाद मूत्रमार्ग से 14.9 एमएम स्टोन निकाले । श्री मति आशा नरगावे ने बताया कि एलोपैथी का करीब 30 दिनों तक इलाज लेने के बाद भी असर नही लगा। इस दौरान जांचो और दवाई पर करीब 4500 रुपये की खर्च किए । इसके बाद केवल 1200र रुपये की दवाइयां लेने के बाद सार्थक परिणाम आया है।*
*गुर्दे की पथरी कैसे बनते हैं?*
*जब मूत्र में कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन जैसे कुछ पदार्थों का कंसंट्रेशन बढ़ने लगता है, तो वे क्रिस्टल बनाने लगते हैं जो गुर्दे से जुड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ कर पथरी का रूप लेने लगते हैं।*
*पथरी के लक्षण*
*पथरी की वजह से जो सबसे आम लक्षण उभरते हैं वो है पेट या उसके निचले हिस्से में दर्द का होना जो कमर तक बढ़ सकता है। पत्थर निकालते समय दर्द का होना सबसे आम है। इसमें गंभीर कष्टदायी दर्द की लहरें भी उठतीं हैं जिसे ‘वृक्क शूल’ कहा जाता है जो 20-60 मिनट तक रहता है।*
*पेशाब करने में कठिनाई, मूत्र में रक्त या उल्टी हो सकती है।*
*पथरी पेशाब की थैली में , पित्ताशय में या किडनी के आसपास होने के साथ साथ मुत्र मार्ग की नलिकाओं में भी पथरी हो जाती है जिससे पथरी के टुकड़े मूत्र मार्ग में फंसा रह सकता है जिससे पेशाब करने में बाधा उत्पन्न होती है और दर्द होता है। गुर्दे में अगर पथरी बहुत छोटा हो तो वे रुकावट पैदा नहीं करते हैं, जिससे पथरी का कोई लक्षण नहीं दिखता है।*
*प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद में पथरी का निदान*
*ड़ॉ. कर्मा ने बताया कि पथरी आखिर क्यु होती है और बार बार उपचार के बाद भी वापस क्यु हो जाती है, प्राकृतिक चिकित्सक ड़ॉ.पी दिलीप कर्मा ने बताया की पथरी मुख्यतया पानी कम पिटने एवं पेशाब को रोकने की आदतों के कारण होती है,पथरी के बिमार का सर्वप्रथम प्राकृतिक चिकित्सा से सबसे पहले प्राकृतिक तरीके से पेट साफ किया और आयुर्वेदिक दवाई एवं पाउडर तैयार किया। साथ ही गोखरू युक्त सिरप एव अन्य का चूर्ण योग बनाया। इसके साथ साथ प्रतिदिन 12 गिलास पानी पिने के साथ गरिष्ठ भोजन जैसे मास, तला भुना, बाजार का डिब्बा बंद भोजन, सेव, अचार, पापड़ ठंडे पेय पदार्थ से परहेज करने की सलाह दी।*
*एलोपैथी में पथरी का निदान*
*गुर्दे की पथरी का निदान अल्ट्रासोनोग्राफी या सीटी स्कैन द्वारा किया जाता है। एक्स-रे और इंट्रावेनस पाइलोग्राफी भी निदान के लिए उपयोगी होते हैं।सीटी स्कैन अधिक सटीक होता है लेकिन रोगी को विकिरण का सामना करना पड़ता है।*