राजेश पटेल
तेंदूखेड़ा- आने वाली 26 तारीख को कार्तिक सोमन्ती पूर्णिमा गुरूनानक जयंती के अवसर पर पुण्य सलिला मां नर्मदा में स्नान करने का बड़ा ही महत्व है। वहीं श्रद्धालु बड़ी संख्या में नर्मदा घाटों पर पहुंचकर स्नान पुण्यदान पूजन अर्चन किया करते है। लेकिन मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहलाने वाली पुण्य सलिला मां नर्मदा तेंदूखेड़ा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हीरापुर ककरा घाट बिलथारी झिरी छत्तरपुर करौंदी घाटों पर पर्याप्त सुविधायें न होने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियां झेलनी पड़ती है। समाचार पत्रों के माध्यम से लगातार जिला प्रशासन तक यह विषय पहुंचाया तो जाता है, लेकिन जिला प्रशासन केवल विकासखंड अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर और विकासखंड अधिकारी ग्राम पंचायतों को तुगलगी आदेश जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते है। स्थिति यह है कि ककरा घाट पुण्य सलिला मां नर्मदा का गाडरवारा तेंदूखेड़ा और रायसेन सागर जिले के क्षेत्रों के लिये काफी सुलभ अनुकूल घाट माना जाता है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रत्येक अमावस्या पूर्णिमा और पर्व विशेष पर पहुंचकर स्नान पूजनदान किया करते है। सबसे बड़ी समस्या यहां पर वाहन खड़ा करने घाट तक पहुंचने के लिये सुव्यवस्थित सड़क न होने फिर श्रद्धालु महिलाओं को नहाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां पर जिला प्रशासन को चाहिये कि किसी भी तरह यहां पर लगने वाली दुकानों को व्यवस्थित तरीके से लगाये जाने के साथ पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। वहीं पूजन पाठ के लिये निर्धारित स्थान फिर घाटों नहाने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित व्यवस्थित स्थान की समुचित व्यवस्था कराई जाये। चूंकि यहां पर छाया की कोई व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन किसी छायादार टेंट की वैकल्पिक व्यवस्था प्रशासन स्तर पर की जानी चाहिये। लाखों की संख्या में पहुंचेगंे श्रद्धालु कार्तिक मास की पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व होने के चलतेे नर्मदा के प्रत्येक घाट में क्षेत्र के प्रत्येक घाट में लाखों श्रद्धालु पहुंचेगें। एक दिन पूर्व से ही श्रद्धालु बड़ी संख्या में पैदल निकलेगें। सुबह सुबह नर्मदा मैया में डुबकी लगाकर पूजन अर्चन करेंगे। इन श्रद्धालुओं द्वारा स्नान के उपरंात भंडारे तथा भरता बाटी बनाने का भी सिलसिला काफी लम्बे समय तक चला करता है। सुबह सुबह बहुत से श्रद्धालु अपने अपने निजी वाहनों से पहुंचकर मनचले ढंग से जहां जगह मिलती है वहां वाहन खड़ा करके चले जाते है जिससे आने और जाने वाले श्रद्धालुओं को निकलने में असुविधा हुआ करती है। स्थिति यह बन जाती है कि नर्मदा के ऊपर बने पुल सड़क पर भी जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। काफी मशक्कत और परेशानी के बाद ही स्थिति पटरी पर आती है। अनेंको बार ककरा घाट के उत्थान को लेकर जिला प्रशासन के लिये गुुहार लगाई गई, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई उचित पहल नहीं हो सकी है। विशेषकर पर्व विशेषों पर समय की स्थिति को देखते हुये प्रकाश व्यवस्था रात्रि के समय होना बहुत ही नितांत आवश्यक है। प्रत्येक घाट से उठेगी नर्मदा परिक्रमायें वैसे तो नर्मदा के प्रत्येक घाट का अपना एक अलग महत्व है बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पूजन किया ही करते है। और कार्तिक मास की इस पूर्णिमा से नर्मदा परिक्रमा किये जाने का भी अपना एक अलग महत्व है। लोग पैदल परिक्रमा उठाने के साथ-साथ पंचकोषी परिक्रमा भी किया करते है। वहीं उत्तर तट पर स्थित करोंदी घाट पर स्नान की किसी भी प्रकार की कोई उचित व्यवस्था न हो पाने के कारण स्नान करने के लिये श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। उबड़ खाबड़ सड़क मार्ग से आना जाना और स्नान करना श्रद्धालुओं की मजबूरी बन गई है।