Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

घर-घर पहुंच रहा है अर्चना दीदी का स्नेही रक्षा सूत्र और संदेश

 आर्यन शेख़ अय्यूब ज़िला ब्यूरो

बुरहानपुर। श्रावण पूर्णिमा, युगाब्ध 5125 पर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने विष्वास और प्रेम के साथ रक्षाबंधन मनाने के साथ आस, प्रयास और विकास को लक्ष्य बनाकर महान भारत हेतु जीवन पर्यन्त योगदान का संकल्प सूत्र अपने स्नेही बंधुजनों को प्रेषित किया।श्रीमती चिटनिस ने प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी देश, प्रदेश, संपूर्ण निमाड़ एवं बुरहानपुर, देवास, खंडवा, खरगोन, इंदौर और भोपाल आदि अनेक स्थानों पर अपने परिचित और स्नेहीजनों को रक्षा बंधन का संदेश और रक्षा सूत्र भेजा है। श्रीमती चिटनिस द्वारा भेजे गए संदेश की पंक्तियां इस प्रकार है:- हर्ष हो, उल्लास हो, प्रेम हो, विष्वास हो, उन्नति हो, विकास हो, वर्ष भर मधुमास हो। धूम हो, धड़ाका हो, खेल हो, तमाषा हो, सैर हो, सपाटा हो, हर घर दाल-आटा हो। आस हो, प्रयास हो, मेरी विनती सुनो प्रभु। विषाणु का वंश न हो, महामारी का दंष न हो, अब और विध्वंस न हो, सब आनंदित रहे प्रभु। मुस्कुराता बचपन हो, तूफानी यौवन हो, अनुभव का वंदन हो, उल्लासित जीवन हो। प्रगति सपन साकार करें, मेरी विनती सुनो प्रभु। आईये, मन में विजय का उल्लास भर आपसी विष्वास और प्रेम के साथ सब मिल मनाएं रक्षाबंधन, इस संकल्प के साथ कि जीवन पर्यन्त योगदान देते रहेंगे महान भारत बनाए रखने के लिए श्रीमती अर्चना चिटनिस द्वारा प्रतिवर्ष अपने परिचितजनों को देश-प्रदेश में रक्षा सूत्र और शुभकामना संदेश विगत 25 वर्षों से लगातार प्रेषित किए जाते है। श्रीमती चिटनिस द्वारा देश, प्रदेश, निमाड़, खंडवा और बुरहानपुर क्षेत्र के हर गांव और नगर के हर गली-मोहल्ले में अपने परिचितजनों को राखी (रक्षा बंधन) की शुभकामना संदेश त्यौहार से पूर्व या आगामी एक पखवाड़े तक भेजा जाता है। दीदी से सालों-साल अनवरत् रक्षा सूत्र प्राप्त करते करते अब तो सैंकड़ों भाई व उनका परिवार दीदी की इस राखी का इंतजार करने लगे हैं। वैसे भी अर्चना दीदी को लोग किसी पद के नाते से बाद में और पहले अपनी बहन के नाते से ही भाव प्रकट करते हैं। यह आत्मीयता का भाव सार्वजनिक जीवन में अपने आप में एक मिसाल है।जब बहनें अपने भाई की कलाई पर बांधने हेतु परिवार में ही अपना त्यौहार मनाने के लिए व्यस्त होती है। तब एक, दो-चार नहीं असंख्य भाईयों और स्नेही स्वजनों को परिवारिक रूप से घर-घर रक्षा बंधन का नमन कठिन और चुनौतीपूर्ण प्रयास होता है। इस प्रयास में अपने घनिष्ठ, चिर-परिचितों की इतनी लंबी सूची को प्रति वर्ष बढ़ाना, सुधारना और फिर भी कई स्नेहीजनों का छूट जाना इस प्रक्रिया में स्वाभाविक है जिस पर अर्चना दीदी को लगातार धन्यवाद या संदेश प्राप्ति में चूक की उलाहना के स्वर श्रावण मास के बाद प्रायः श्रवण करना होती है। जिससे उनको अपनी सूची सुधार और संपर्क विस्तार का भी लगातार आंकलन हो जाता है।

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