राजेंद्र खरे कटनी
कटनी – धर्म व संस्कृति से जनजातियों को जोड़कर रखने के लिए वनवासी चरित्रों पर आधारित लीलाओं के मंचन के समापन दिवस पर मंगलवार की शाम जाग्रति पार्क मे लछमन चरित की प्रस्तुति की गई। जिसे दर्शकों की खूब वाह-वाही मिली।इस वनवासी लीला के तहत भगवान राम, लछमन, सीता के साथ-साथ पांडवों को भी शामिल किया गया था। राम-लछमन व सीता की सहायता के लिए 5 पांडव भी तत्पर दिखाई दिए। लछमन विवाह के लिए इंद्र लोक की कामिनी द्वारा की गईं तांत्रिक लीलाओं का मंचन देखकर दर्शक मुग्ध हो गए। वहीं मां सीता की आज्ञानुसार लछमन द्वारा इंद्र की त्रिया फूल से विवाह का मंचन भी आकर्षक रहा।इस दौरान त्रिया फूल व लछमन का अपहरण तथा भंवरों का पांडव भीम पर हमला तथा हनुमान जी से युद्ध भी मनोहारी था। वनवासी लीला गौंड जनजाति की कल्पना के आधार पर थी। इसके अनुसार गौंड भगवान राम को जहां सर्वव्यापी मानते हैं, वहीं लछमन को अपना आराध्य मानते हैं।इसलिए उनकी कल्पना अनुसार लछमन के विवाह को लेकर लीला का आयोजन किया गया। इसकी दर्शकों ने प्रशंसा की। लछमन चरित का निर्देशन ब्रजेश कुमार रिछारिया और संगीत संयोजन मिलिन्द त्रिवेदी ने किया। जबकि आलेख योगेश त्रिपाठी का था। ज्ञात हो कि मप्र शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार श्री रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरित्रों पर आधारित वनवासी लीलाओं लछमन चरित, भक्तिमती शबरी और निषादराज गुहा की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से दी गई।