बुरहानपुर/ चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट यूनिसेफ के तत्वावधान में दिनांक 12 से 26 मई, 2023 के दौरान छात्रावास में रहने वाले बच्चों को अलग-अलग सात, निर्धारित स्थानों पर, बच्चों के साथ होने वाले अपराधों से जागरूक करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण प्रदान कराया गया। प्रशिक्षण से 26 छात्रावासों के छात्र लाभान्वित हुए।
कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल की अपनी ऐसी अवधारणा है कि समाज में प्रत्येक वयस्क नागरिक, अपने अधिकारों के प्रति सतर्क और तत्पर रहता है जबकि, बच्चों में ऐसा नहीं होता। इसलिए हम सबको, बच्चों के क्या कष्ट है, दुख-तकलीफ है, समझने में, विशेष ध्यान देना चाहिए। इसी कड़ी में सभी छात्रावासों का कायाकल्प कराने का कार्य कराया गया। जिसके तहत सीसीटीवी कैमरों का विस्तार, फसाई सर्टिफिकेट, मेडिकल हेल्थ चेकअप मेडिकल टेªकिंग रिकार्ड, पानी की टेस्ट रिपोर्ट रिकार्ड, किचन गार्डन, स्टडी रूम, डायनिंग रूम, लायब्रेरी तथा खेलकूद की व्यवस्था कराई गई।
उत्कृष्ट सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास बुरहानपुर यह छात्रावास जनजातीय कार्य विभाग प्रमुख के अधीन तथा उन्हीं के नोडल नेतृत्व में संचालित है। छात्रावास अधीक्षक श्री विजय राठौर ने छात्रावास के बच्चों को बताया कि, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं भारत सरकार ने बच्चों के अधिकार एवं नीतियों का निर्धारण किया है। बच्चों को उनके जन्म से ही उनकी पहचान, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और समानता का अधिकार बिना किसी जाति धर्म और लिंग भेद स्वतः प्राप्त हो जाता है। सभी बच्चे जानते है कि, 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है और 14 से 20 नवम्बर तक बाल सप्ताह का आयोजन किया जाता है।
बाल अधिकारों की जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद, इनका हनन निम्न रूप में देखने को मिलता है।
1. कन्या भू्रण हत्या – रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान संचालित किया जा रहा है।
2. बाल विवाह- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 200़6 कार्य व्यवहार में है।
3. बाल श्रम – किशोर न्याय अधिनियम 2000 के तहत कार्यवाही होती है।
4. बाल यौन हिंसा – बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 बचाव करता है।
5. बाल तस्करी – दण्डात्मक प्रावधान है। बच्चों को विषय से परिचय तथा उनके परिणामों से अवगत कराया गया।