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गोवर्धन अकेले में ही खाद्य विभाग की मिलीभगत से हजारों किलो बिक रहा नकली,मिलावटी, दूषित पेड़ा व मिठाईयां

दानघाटी मन्दिर के समीप मिलावटी व दूषित पेड़ों को वेचने के लिए लोगों ने 30 हजार से 60 हजार रुपए तक किराए पर दुकानें ली हुई हैं

आखिर आया मौसम नकली मावे के पेड़े बेचने का : पूर्णिमा मेला

मथुरा। खाद्य विभाग की मिलीभगत और रिश्वतखोरी के चलते पूरे जनपद में ही लेकिन अकेले गोवर्धन में आस्था व प्रसाद के नाम पर नकली मावे से निर्मित पेड़े यूँ तो लगभग पूरे गोवर्धन में खुलेआम बेचे जा रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा इनउ पेड़ों व मिठाईयों को दानघाटी मन्दिर के सौ मीटर के दायरे में तो सबसे ज्यादा बेचा जा रहा है।
गोवर्धन गिर्राज पर्वत को नख पर उठाने के लिए श्री कृष्ण लीलाओं का साक्षात गवाह है और श्रद्धालु गिर्राज पर्वत की सप्तकोसीय परिक्रमा करने प्रति महीने लाखों करोड़ों श्रद्धालुओं का आना जाना होता है और उसी श्रद्धा के वशीभूत होकर श्री कृष्ण की दान लेने वाली दानघाटी के प्रतीक दानघाटी मन्दिर पर श्रद्धालु अवश्य जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं तो सप्तकोसीय परिक्रमा मार्ग भी दानघाटी से प्रारम्भ होता है जिसका फायदा उठा कर मौका परस्त लोग महंगे से महंगे किराए पर दुकानों को लेकर नकली मावे से बने पेड़े व अन्य मिठाईयों को बाकायदा पेड़े या प्रसाद लेलो कहकर श्रद्धालुओं को ग्राहकों के रूप में बुलाकर नकली,दूषित, मिलावटी पेड़ों व मिठाइयों को प्रसाद के नाम पर बेचा जाता है ऐसा नहीं है कि खाद्य विभाग को इसकी जानकारी नहीं है खाद्य विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों को बखूबी पता रहता है कि खुलेआम मिलावटी, दूषित ,नकली मिठाइयों के साथ पेड़े बेचे जाते हैं लेकिन उक्त खाद्यान्न विभाग की टीम नमूना लेने समय समय पर आती तो है और अपनी व अपने अधिकारियों की जेबों को भरकर खानापूर्ति कर दिखाबा कर फर्ज से इतिश्री कर लेती है। उक्त दूषित, मिलावटी, नकली मिठाईयों के साथ पेडों को श्रद्धा और आस्था के नाम पर बेचने के लिए दानघाटी मन्दिर के समीप तीस हजार से लेकर साठ हजार रुपये प्रति महीने पर दुकानों को किराए पर लिया हुआ है इतना महंगा किराया तो शायद महानगरों में भी ऐसी साधारण दुकानों का हो जो दानघाटी मन्दिर के समीप है वो भी तब जब शनिवार रविवार को छोड़कर सिर्फ एकादशी से पूर्णमासी तक मात्र पांच दिन ही श्रद्धालुओं का तांता लगता है और बिक्री होती है। अब बात करते हैं दूसरे पहलू पर जब दूध का भाव दूधियाओं ने साठ रुपये प्रति लीटर कर रखा है और चार लीटर दूध में एक किलो से कम और नौ सौ ग्राम से थोड़ा बहुत ऊपर खोवा बनता है जिसमें ईंधन आदि अलग लगता है जिसकी कीमत दो सौ साठ रुपये आती है तो फिर शुद्ध खोवे के पेडे के नाम पर मात्र एक सौ साठ या दो सौ रुपये किलो में बाजार में कैसे बेचना मुमकिन है लेकिन दानघाटी मन्दिर के समीप दुकानों पर खुलेआम एक सौ साठ रुपये से दो सौ रुपए तक बेचा जाता है जो पोल खोलने के लिए खुद व खुद काफी है अगर खाद्य विभाग श्रद्धालुओं की आस्था से हो रहे खिलवाड़ को रोकने और अपने लालच व रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाते हुए अपना काम ईमानदारी से निर्वाह करे तो शायद ही किसी दुकान का नमूना पास हो लेकिन रिश्वतखोरी की लत के आगे जमीर अब शायद नोटों के बंडलों के बोझ तले दब कर दम छोड़ चुका है तभी तो यह खेल सुचारू रूप से धड़ल्ले से चल रहा है। इस सम्बंध में जब खाद्य विभाग के अधिकारी गौरीशंकर के मोबाईल नम्बर 8923933618 पर 9411257297 से वार्ता कर उक्त नकली मिलावटी दूषित मिठाइयों व पेड़ों की हो रही खुलेआम बिक्री के बाबत उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि अभी हम चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त थे सोमवार को वो खुद अपनी टीम लेकर चेकिंग अभियान चलाएंगे और कार्यवाही करेंगे । गौरीशंकर अपनी बात पर कितने खरे उतरते हैं यह आने वाला सोमवार ही बतायेगा।

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