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मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ ने वनकर्मचारियों की लम्बित समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

सुदर्शन टुडे संवाददाता दिनेश तिवारी सीहोर

सीहोर। मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ के द्वारा वन कर्मचारियों की लम्बित समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जिसमें मांग की गई कि रामस्वरूप वेतन आयोग, अग्रवाल वेतन आयोग, बोहरा मुसरान समिति की सिफारिश एवं अपर प्रधान मुख्य सचिव वन द्वारा संघ के साथ 2008 में किया या लिखित समझोता के पालन केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा छटे वेतन आयोग की सिफारिश का पत्र क्रमांक एफ एन 110011701/2006 की आई आर. एफ.आई एस. दिनांक 25.01.2007 नई दिल्ली के पत्र के पालन में मानवीय वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार जी के द्वारा लिखित में दिया गया आश्वासन पत्र दिनांक 04.05.2018 के के तहत म.प्र. के विभिन्न वनांचल में पदस्य कार्यपालिक वन कर्मचारी जो कि समाज के अंतिम बिन्दू पर रहकर 24 घंटे वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा में तपती दोपहर, कडक़ड़ाती ठंड एवं घनघोर वर्षा में समाज एवं परिवार से दूर रहकर दबंगता के साथ वनों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। इनकी मेहनत, त्याग समर्पण से ही पुरे भारत वर्ष में सर्वाधिक वन म.प्र. में पाये जाते है इतनी कठिन सेवा करने वाले वनकर्मचारियों के समान अन्य विभागों के कर्मचारियों से भारत वर्ष में कार्यरत वनविभाग के कर्मचारियों का वेतनमान न्यूनतम है जो चिन्ता का विषय होकर मनोबल गिराने वाला है। म.प्र. के वनांचल में पदस्य कर्मचारियों की वेतन विसंगति वर्षों पुरानी है। जिसके संबंध में अपर मुख्य सचिव वन श्री मति रंजना चौधरी के द्वारा वर्ष 2008 में लिखित समझौता शासन द्वारा सघं से किया गया था, जो पूरा नहीं किया गया है। इसी प्रकार दिनांक 04.05.2018 को माननीय वन मंत्री गौरीशंकर शैजवार की
अध्यक्षता में वन सचिव के.के. सिंह एवं श्री रवि श्रीवास्तव प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री आर.के. गुप्ता अ.प्र.मु.व.स. (प्रशासन 11) केप्टन अनिल खरे द्वारा भी संघ के साथ लिखित आश्वासन दिये जाने के पश्चात भी वेतन विसंगति को दूर नही किया गया। जब पूरे म.प्र. में भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा एवं भारतीय वन सेवा के वेतनमान एक समान है। साथ ही राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवा राज्य स्तरीय पुलिस सेवा एवं राज्य स्तरीय वन सेवा के वेतनमान भी समान है, परन्तु राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग की तुलना में सबसे कठिन कार्य करने वाले वन कर्मचारियों के वेतनमान न्यूनतम होने से चिंताजनक है। वन कर्मचारी को ना तो शासन का संरक्षण है और ना ही प्रशासन
का संरक्षण है एवं वेतनमान में की सुविधा भी पूरे भारत वर्ष में सबसे कम है। म.प्र को टाईगर स्टेट का दर्जा दिलाना यह उपलब्धि वन कर्मचारियों की ही है। वन कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रताडि़त है, जिसको लेकर संगठन द्वारा ज्ञापन सौंपा गया है, साथ ही चैतावनी भी दी है कि यदि समय रहते वन कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण नही किया जाता है तो अनिश्चित कालीन हड़ताल की जावेगी। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से संतोष साहू अध्यक्ष, विरेन्द्र बिसोरिया प्रांतीय सचिव, आर.ए.श्रीवास्तव वन क्षेत्रपाल, संजय शर्मा, आर.एस.भाटी, नईम अहमद, महाराज सिंह, शरद रंजन, रविन्द्र श्रीवास्तव, लालचन्द्र गुप्ता, नारायण मिश्रा, राजवीर सिंह (टिंगा) सहित बड़ी संख्या में वन कर्मचारी उपस्थित रहे।

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