जिला ब्यूरो राहुल गुप्ता दमोह
दमोह – एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ सुधा मलैया जी ने सार्थक पहल करते हुए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यानयन परिषद ‘नैक’ के हिंदी विरोधी आदेश को परिवर्तित कराने हेतु महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
इस पत्र में उन्होंने वर्तमान भारत एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हिंदी के प्रोन्नयन हेतु किए जा रहे प्रयासों का उद्धरण देते हुए महामहिम राष्ट्रपति को अवगत कराया है कि नैक की गाइड लाइन की कंडिका ए की पैरा 10 में यह उल्लेखित है कि विषयवस्तु को आंग्ल भाषा में अनुवाद करके भेजे। यह आदेश जन आकांक्षाओं और राष्ट्रीय स्वाभिमान के विरुद्ध है। डॉ सुधा मलैया ने इस पत्र में आगे लिखा है कि वर्तमान में अभियांत्रिकी और चिकित्सा शिक्षा जैसे विशिष्ट पाठ्यक्रमों की पुस्तकों का हिंदी रूपांतरण कर छात्रों को सुलभ कराने की प्रक्रिया में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मध्यप्रदेश आगमन केंद्र और प्रांत सरकार के हिंदी भाषा के प्रति दृष्टि और अनुराग को उद्घाटित करता है। न्यायपालिका में भी हिंदी के अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयास हो रहे है। तब नैक का उपरोक्त आदेश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने में बाधक है और हिंदी को बढ़ावा देने के वर्तमान भगीरथ प्रयासों का उपहास कर रहा है। साथ ही यह शैक्षणिक संस्थानों में कार्यों का अनावश्यक बोझ बढ़ा रहा है और समय और संसाधनों के दुरुपयोग को बढ़ावा दे रहा है। पत्र के अंत में डॉ सुधा मलैया ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय से उपरोक्त हिंदी विरोधी आदेश को समाप्त कराने का निवेदन किया है और पत्र को प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षामंत्री, अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ साथ मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री को भी समुचित कार्यवाही हेतु प्रेषित किया है।