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पंचमुखी रूद्राक्ष बाबा महाकाल का स्वरूप है: प.गुरुसाहेब जी

भैंसदेही/मनीष राठौर

बैतूल जिले के टप्पा तहसील झल्लार की धरा पर दिनांक 08.01.23 से 14.01.23 तक चल रही शिव महापुराण कथा का आज तीसरा दिन था। जिसमे उज्जैन से पधारे कथावाचक परम पूज्य गुरुदेव गुरुसाहेब जी शर्मा ने कथा के चलते बताया की ” पंचमुखी रुद्राक्ष बाबा महाकाल का स्वरूप है ” तथा इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा पाँच मुखी रुद्राक्ष की सतह पर 5 प्राकृतिक रेखाएँ (मुख) होते हैं। इस रुद्राक्ष के अधिपति देवता भगवान “कलाग्नि” हैं जो भगवान शिव का ही एक रूप हैं। यह सबसे अधिक पाया जाने वाला रुद्राक्ष है और यह वर्तमान जीवन के “बुरे कर्मों” को नष्ट करने की क्षमता रखता है, जिससे पहनने वाला शुद्ध होता है और उसका मन शांत हो जाता है। तथा इसे जल से भरे लोटे में डुबाकर रखने के बाद उस जल को पीने से सारे रोग दूर होजते है पुरानी से पुरानी स्वस्थ समस्या का हल होता है। इसमें भगवान शिव विराजमान रहते है। तथा इस रुद्राक्ष को घर में रखकर पूजा धूप ध्यान करने के पह्यत दोनो नेत्र से नमन करना चाइए।जिससे भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। इसके स्वामी ब्रस्पती है, तथा उसके इष्टदेवता कालगिन है , पंचमुखी रुद्राक्ष को बहुत खास माना जाता है। इससे बुरे कर्मो का अंत होता है। इसे धारण करने के लिए 108 बार (ॐ ही. नमः) मंत्र का जाप कर धारण करना चाहिए। जिससे दोगुना लाभ मिलता है। साथ ही कहा की झल्लार की धरा पर होने जारही शिव महापुराण कथा में स्थापित रुद्राक्ष की शिवलिंग का 7 दिन महाअभिसेक करने के बाद सिद्ध करके कथा विराम दिनांक 14.01.23 को आप लोगो को वितरित किए जाएंगे।
हनुमान जी स्वयं महादेव का रूप है उनको प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा , हनुमान जी के नाम से माला जपने से बेहतर है।
हनुमान मंदिर जाकर श्रीराम कथा का पाठ करने से हनुमानजी गद गद होजाते है। इसलिए हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान मंदिर में जाकर श्री राम कथा का पाठ करे।
” साथ ही कहा एक लोटा जल सारी समस्या का हल ”
तो है परंतु सम्पूर्ण विश्वास के साथ चढ़ना चाइए।
बिना विश्वास के उसका कोई औचित्य नहीं रहता। कई लोग मेरे पास आए उन्होंने कहा गुरुदेव हम लगातार 2–2 घंटे भगवान की आराधना करते है, परंतु हमे फल नहीं मिलता, हम बोले ,इतनी देर पूजा करने का कोई मतलब नहीं अगर आप सच्ची श्रद्धा से नही पूज रहे हो तो, भगवान को कभी भी सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजे। साथ ही अन्य प्रवचन में बाद शाम 5 बजे सुंदर आरती के साथ कथा के तीसरे दिन का विराम हुआ।

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