Sudarshan Today
मध्य प्रदेशसारंगपुर

प्रसिद्ध संत की तपो स्थली को पर्यटन स्थल बनाने की नगरवासी कर चुके है मांग

   सुदर्शन टुडे संवाददाता सारंगपुर अनिल सोनी

 

अनदेखी,सीताफल की राड़ी के आगे नदी किनारे है सदगुरु योगेंद्र शिलनाथ महाराज का साधना स्थल

सारंगपुर।।नगर के अति प्राचीन सिद्ध स्थल सदगुर योगेंद्र नाथ सिंह महाराज के धूना स्थल सित्तौडी पर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी वह देख रेख के अभाव मे आज भी उपेक्षित होकर अपना अस्तित्व खोता नजर आने लगा है। इस स्थल की और ना तो प्रशासनिक अमला ध्यान दे रहा है।और ना ही यहां रास्ते के लिए किसी प्रकार की कोई पहल की जा रही है। इस स्थल पर थोड़ा बहुत कार्य स्थानीय योगी शिलनाथ आश्रम महंत एव शिलनाथ आश्रम की सेवा समिति के सदस्यों के द्वारा किया गया है। किंतु जो कार्य हुए है वह धूना स्थल की प्राचीनता को देखते हुए बिल्कुल नगण्य है। प्रसिद्ध  शिलनाथ की तपो स्थली को संरक्षित किए जाने की मांग धीरे-धीरे जो पकड़ने लगी थी जो आज इन दिनों ठंडे बस्ते में जाती दिखाई दे रही है।

इस संबंध में समिति सदस्यों ने पूर्व में शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया था,नगरीय सीमा में स्थित कालीसिंध नदी के तट के अंतिम छोर पर वर्षों पुराना संत शिलनाथ जी का धूना साधना और ध्यान स्थल समय के साथ साथ रख रखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।

 

*कुंड और धूना जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंचे*

 

उक्त स्थल पर शिलनाथ के समय के दौरान का एक कुंड भी बना हुआ स्थल है यह समय समय के साथ जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच गया है। लेकिन इस कुंड की बनावट देख कर ऐसा प्रतीत होता ही की यह कुंड पुराने समय का फिल्टर प्लांट रहा होगा,क्यों की इसमें पानी घुमावदार अवस्था में जाता है।कहा जाता ही की इस कुंड के पानी से यहा रहने वाले संत अपनी प्यास बुझाने के साथ साथ स्नान भी करते थे।क्यों की इसका जल चलायमान स्थिति में रहता था,कुंड के समीप ही ध्यान,साधना,हवन,यज्ञ के लिए एक विशाल धूना भी बना हुआ है।

 

*हाइवे के समीप बन सकता है पर्यटन स्थल*

 

कालीसिंध नदी के किनारे पर होने और साथ ही फोरलेन के समीप होने के कारण इस स्थल की महत्ता बढ़ गई है,अगर इस स्थल पर नदी के किनारों पर मजबूत रेलिंग लगाकर पेवर्स लगा दिए जाए और बायपास से स्थल तक पक्का मार्ग बना दिया जाए तो यह स्थल रमणीक स्थल बन जाएगा।आते जाते समय समय कोई भी नदी का सौंदर्य निहारेगा,साथ ही दर्शनार्थी धूने स्थल के भी दर्शन कर सकेंगे।

 

*विकास के लिए प्रस्ताव भी पास किया लेकिन काम नही हुआ*

 

शिलनाथ समाधि स्थल से थोड़ी ही दूर पर नेशनल हाइवे का बायपास निकलता है।अगर इस स्थल का व्यवस्थित रूप से जीर्णोद्धार कर निर्माण किया जाए तो यह एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। लगभग 2 वर्ष पूर्व इस संबंध में एक बैठक रखकर प्रस्ताव भी पास किया था।जिसमे निर्णय लिया गया था की उक्त स्थल पर पानी की टंकी,मांगलिक भवन,तथा धूना स्थल का जीर्णोद्धार किया जाए,किंतु उक्त स्थल पर शासन की और से ना ही जनप्रतिनिधियों की और से ध्यान दिया जा रहा है।

 

*विक्रम संवत 1977 में संत ने ली थी समाधि*

 

जानकारी के अनुसार संत ने विक्रम संवत 1977 में यहा पर समाधि ली थी,लेकिन इस स्थल पर जाने के लिए न तो अब तक कोई रास्ता बनवाया गया और न ही कोई व्यवस्थाए की गई।इस कारण यहा आने जाने वाले श्रद्धालुओ को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।उल्लेखनीय ही की शासकीय अभिलेखों के अनुसार सारंगपुर सारंगपुर के सित्तोडी स्थित की जमीन खसरा न.1504 में आरा 0.89 भूमि दर्ज है।किंतु उक्त स्थान पर अभिलेख के अनुसार भूमि नही है।

 

इनका कहना है।

 

पिछली परिषद के समय क्या प्रस्ताव हुआ था वो मेरी जानकारी में नही है,आपके द्वारा जानकारी मिली है,धुने के जीर्णोद्धार के लिए जो भी प्रयास हो सकता है मिलकर करेंगे।

 

पंकज पालीवाल नपाध्यक्ष सारंगपुर

 

 

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फ़ोटो 1, 05शीलनाथ महाराज

फोटो 2,06प्रसिद्ध कुंड

जीर्णोद्धार के राह देख रहा शिलनाथ का धूना

प्रसिद्ध संत की तपो स्थली को पर्यटन स्थल बनाने की नगरवासी कर चुके है मांग

अनदेखी,सीताफल की राड़ी के आगे नदी किनारे है सदगुरु योगेंद्र शिलनाथ महाराज का साधना स्थल

सुदर्शन टुडे संवाददाता सारंगपुर अनिल सोनी

सारंगपुर।।नगर के अति प्राचीन सिद्ध स्थल सदगुर योगेंद्र नाथ सिंह महाराज के धूना स्थल सित्तौडी पर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी वह देख रेख के अभाव मे आज भी उपेक्षित होकर अपना अस्तित्व खोता नजर आने लगा है। इस स्थल की और ना तो प्रशासनिक अमला ध्यान दे रहा है।और ना ही यहां रास्ते के लिए किसी प्रकार की कोई पहल की जा रही है। इस स्थल पर थोड़ा बहुत कार्य स्थानीय योगी शिलनाथ आश्रम महंत एव शिलनाथ आश्रम की सेवा समिति के सदस्यों के द्वारा किया गया है। किंतु जो कार्य हुए है वह धूना स्थल की प्राचीनता को देखते हुए बिल्कुल नगण्य है। प्रसिद्ध शिलनाथ की तपो स्थली को संरक्षित किए जाने की मांग धीरे-धीरे जो पकड़ने लगी थी जो आज इन दिनों ठंडे बस्ते में जाती दिखाई दे रही है।
इस संबंध में समिति सदस्यों ने पूर्व में शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया था,नगरीय सीमा में स्थित कालीसिंध नदी के तट के अंतिम छोर पर वर्षों पुराना संत शिलनाथ जी का धूना साधना और ध्यान स्थल समय के साथ साथ रख रखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।

*कुंड और धूना जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंचे*

उक्त स्थल पर शिलनाथ के समय के दौरान का एक कुंड भी बना हुआ स्थल है यह समय समय के साथ जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच गया है। लेकिन इस कुंड की बनावट देख कर ऐसा प्रतीत होता ही की यह कुंड पुराने समय का फिल्टर प्लांट रहा होगा,क्यों की इसमें पानी घुमावदार अवस्था में जाता है।कहा जाता ही की इस कुंड के पानी से यहा रहने वाले संत अपनी प्यास बुझाने के साथ साथ स्नान भी करते थे।क्यों की इसका जल चलायमान स्थिति में रहता था,कुंड के समीप ही ध्यान,साधना,हवन,यज्ञ के लिए एक विशाल धूना भी बना हुआ है।

*हाइवे के समीप बन सकता है पर्यटन स्थल*

कालीसिंध नदी के किनारे पर होने और साथ ही फोरलेन के समीप होने के कारण इस स्थल की महत्ता बढ़ गई है,अगर इस स्थल पर नदी के किनारों पर मजबूत रेलिंग लगाकर पेवर्स लगा दिए जाए और बायपास से स्थल तक पक्का मार्ग बना दिया जाए तो यह स्थल रमणीक स्थल बन जाएगा।आते जाते समय समय कोई भी नदी का सौंदर्य निहारेगा,साथ ही दर्शनार्थी धूने स्थल के भी दर्शन कर सकेंगे।

*विकास के लिए प्रस्ताव भी पास किया लेकिन काम नही हुआ*

शिलनाथ समाधि स्थल से थोड़ी ही दूर पर नेशनल हाइवे का बायपास निकलता है।अगर इस स्थल का व्यवस्थित रूप से जीर्णोद्धार कर निर्माण किया जाए तो यह एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। लगभग 2 वर्ष पूर्व इस संबंध में एक बैठक रखकर प्रस्ताव भी पास किया था।जिसमे निर्णय लिया गया था की उक्त स्थल पर पानी की टंकी,मांगलिक भवन,तथा धूना स्थल का जीर्णोद्धार किया जाए,किंतु उक्त स्थल पर शासन की और से ना ही जनप्रतिनिधियों की और से ध्यान दिया जा रहा है।

*विक्रम संवत 1977 में संत ने ली थी समाधि*

जानकारी के अनुसार संत ने विक्रम संवत 1977 में यहा पर समाधि ली थी,लेकिन इस स्थल पर जाने के लिए न तो अब तक कोई रास्ता बनवाया गया और न ही कोई व्यवस्थाए की गई।इस कारण यहा आने जाने वाले श्रद्धालुओ को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।उल्लेखनीय ही की शासकीय अभिलेखों के अनुसार सारंगपुर सारंगपुर के सित्तोडी स्थित की जमीन खसरा न.1504 में आरा 0.89 भूमि दर्ज है।किंतु उक्त स्थान पर अभिलेख के अनुसार भूमि नही है।

इनका कहना है।

पिछली परिषद के समय क्या प्रस्ताव हुआ था वो मेरी जानकारी में नही है,आपके द्वारा जानकारी मिली है,धुने के जीर्णोद्धार के लिए जो भी प्रयास हो सकता है मिलकर करेंगे।

पंकज पालीवाल नपाध्यक्ष सारंगपुर

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फ़ोटो 1, 05शीलनाथ महाराज
फोटो 2,06प्रसिद्ध कुंड

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