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मध्य प्रदेशसारंगपुर

वर्षों पुराने जर्जर स्कूल में संचालित हो रही है आंगनवाड़ी

 सुदर्शन टुडे संवाददाता सारंगपुर अनिल सोनी

 

सारंगपुर।।करीब पांच हजार की आबादी वाले कस्बे में आंगनबाड़ी बिल्डिंग नहीं होने से आंगनबाड़ी क्षतिग्रस्त भवन में संचालित की जा रही है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है पालक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने से डर रहे हैं। कई बार ग्रामीणों द्वारा प्रशासन से नये आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए लगातार मांग की गई  लेकिन विभागीय प्रशासनिक अधिकारी की लापरवाही के कारण इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।

 

लगभग 35-40 वर्षो पुराना जर्जर स्कुल भवन में लग रही है आंगनवाड़ी

 

सारंगपुर तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हराना में चार आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे  है जिसमें मात्र एक बिल्डिंग शासन द्वारा बनाई गई है बाकी बिल्डिंग बनना बाकी है जर्जर भवन में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों मे ग्रामीणो को अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने में असुविधा हो रही है,तो वही अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने में उनको डर लगने लगा है क्योंकि हनुमान मंदिर परिसर में जर्जर अवस्था में क्षतिग्रस्त स्कूल बिल्डिंग में संचालित की जा रही है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है सरकारी बिल्डिंग नहीं होने के कारण दूसरी जगह संचालित करना पड़ रहा है विभाग को समस्या गंभीरता से लेते हुए अन्य जगह केंद्र करवाना चाहिए जहां पर आंगनवाड़ी चलाई जा सके एवं बच्चों को बैठकर पढ़ाया और उन्हें भोजन वितरित किया जा सके।

वही एक केन्द्र वर्षों पुराने जर्जर पंचायत भवन में आंगनवाड़ी केंद्र लगाया जा रहा हैं उसी भवन में छोटे-छोटे बच्चों को बैठाकर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है आंगनवाड़ी जिस भवन में लग रही है वह शासकीय स्कूल का अतिरिक्त कक्ष है जिसकी छत एवं दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी है ऐसे में कभी भी बच्चों के साथ हादसा हो सकता है इस कारण से पालक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी नहीं भेज रहे हैं

 

दोनो आगनबाडी केन्द्रो पर आते है 100 से अधिक बच्चे

 

गौरतलब है कि एक तरफ सरकार ग्रामीण बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए कुपोषण मुक्त अभियान चला रही हैं जिसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों में उन्हें पोषक आहार वितरण किया जा रहा है जिसे छोटे-छोटे बच्चों को देकर उन्हें कुपोषण मुक्त किया जा सके। परंतु लगभग पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले कस्बे में उन बच्चों को बैठने के लिए एक शासकीय भवन भी नहीं है ग्रामीणो ने प्रशासन से समस्या हल करने की मांग की है।

वर्षों पुराने जर्जर स्कूल में संचालित हो रही है आंगनवाड़ी

सुदर्शन टुडे संवाददाता सारंगपुर अनिल सोनी

सारंगपुर।।करीब पांच हजार की आबादी वाले कस्बे में आंगनबाड़ी बिल्डिंग नहीं होने से आंगनबाड़ी क्षतिग्रस्त भवन में संचालित की जा रही है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है पालक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने से डर रहे हैं। कई बार ग्रामीणों द्वारा प्रशासन से नये आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए लगातार मांग की गई लेकिन विभागीय प्रशासनिक अधिकारी की लापरवाही के कारण इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।

लगभग 35-40 वर्षो पुराना जर्जर स्कुल भवन में लग रही है आंगनवाड़ी

सारंगपुर तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हराना में चार आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे है जिसमें मात्र एक बिल्डिंग शासन द्वारा बनाई गई है बाकी बिल्डिंग बनना बाकी है जर्जर भवन में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों मे ग्रामीणो को अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने में असुविधा हो रही है,तो वही अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने में उनको डर लगने लगा है क्योंकि हनुमान मंदिर परिसर में जर्जर अवस्था में क्षतिग्रस्त स्कूल बिल्डिंग में संचालित की जा रही है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है सरकारी बिल्डिंग नहीं होने के कारण दूसरी जगह संचालित करना पड़ रहा है विभाग को समस्या गंभीरता से लेते हुए अन्य जगह केंद्र करवाना चाहिए जहां पर आंगनवाड़ी चलाई जा सके एवं बच्चों को बैठकर पढ़ाया और उन्हें भोजन वितरित किया जा सके।
वही एक केन्द्र वर्षों पुराने जर्जर पंचायत भवन में आंगनवाड़ी केंद्र लगाया जा रहा हैं उसी भवन में छोटे-छोटे बच्चों को बैठाकर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है आंगनवाड़ी जिस भवन में लग रही है वह शासकीय स्कूल का अतिरिक्त कक्ष है जिसकी छत एवं दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी है ऐसे में कभी भी बच्चों के साथ हादसा हो सकता है इस कारण से पालक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी नहीं भेज रहे हैं

दोनो आगनबाडी केन्द्रो पर आते है 100 से अधिक बच्चे

गौरतलब है कि एक तरफ सरकार ग्रामीण बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए कुपोषण मुक्त अभियान चला रही हैं जिसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों में उन्हें पोषक आहार वितरण किया जा रहा है जिसे छोटे-छोटे बच्चों को देकर उन्हें कुपोषण मुक्त किया जा सके। परंतु लगभग पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले कस्बे में उन बच्चों को बैठने के लिए एक शासकीय भवन भी नहीं है ग्रामीणो ने प्रशासन से समस्या हल करने की मांग की है।

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