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मुरैना

अ.भा. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन मैं 28 राज्यों के शिक्षकों ने लिया भाग पुरानी पेंशन ,क्रमोन्नति , पदनाम की मांग का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा-पवन सिंह परिहार

एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अधिवेशन में चंबल अंचल के पदाधिकारियों ने पुरानी पेंशन बहाली, प्रदेश के शिक्षकों को योग्यतानुसार पदोन्नति व पदनाम का मुद्दा रखा। बेंगलुरु में सम्पन्न हुए 8वें अधिवेशन में देशभर के शिक्षक, शिक्षाविद् व प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुरैना जिले से अपेक्षित पदाधिकारी सम्मिलित हुए।
इस मौके पर विभिन्न प्रस्ताव अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी सिंगल जी एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र जी कपूर के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर रखे गए। जिसमें प्रथम प्रस्ताव अधिवेशन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन समग्र निष्पक्ष एवं एकात्मक जनसंख्या नीति का निर्माण हो , द्वितीय प्रस्ताव गुणवत्ता एवं गरिमा पूर्व शिक्षा हेतु समुचित संसाधनों की व्यवस्था हो एवम तृतीय प्रस्ताव शिक्षा एवं शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण । इस दौरान 1 जनवरी 2004 से पूर्व की पेंशन योजना सभी शिक्षकों के लिए बहाल की जाए , राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू किया जाए,संपूर्ण देश में सभी शिक्षकों के रिक्त पदों पर स्थाई और नियमित नियुक्ति सुनिश्चित की जावे , संपूर्ण देश के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु एक समान की जावे, अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के भुगतान की कोषागार व्यवस्था सुनिश्चित की जाए स्कूल एवं उच्च शिक्षा के समस्त शिक्षकों को समुचित चिकित्सा सुविधा के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य कार्ड जारी कर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए, शिक्षकों की केबल शैक्षिक कार्य ही करवाए जाएं मिड डे मील योजना के प्रबंधन व क्रियान्वयन से शिक्षकों को मुक्त रखा जाए, यूजीसी रेगुलेशन 2018 को संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू किया जाए तथा विसंगति निवारण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए रेगुलेशन की विसंगतियों को दूर किया जाए, शिक्षा के बाजारीकरण पर नियंत्रण सुनिश्चित हो, महाविद्यालय प्राचार्य का सेवाकाल 5 वर्ष तक ही सीमित न रखकर इसे सेवानिवृत्ति तक प्रस्तावित किया जाए, सभी शिक्षण संस्थाओं में उचित शिक्षक शिक्षार्थी अनुपात सुनिश्चित किया जाए। प्राथमिक विद्यालय में जितनी कक्षा उतने न्यूनतम शिक्षक तथा इससे ऊपर की शिक्षा देने वाले विद्यालयों न्यूनतम प्रत्येक विषय में शिक्षक लगाए जाएं।उच्च शिक्षा में शिक्षक शिक्षार्थी अनुपात के संबंध में यूजीसी के मापदंडों को लागू किया जाए, केंद्र सरकार अपने बजट का 10% तथा राज्य सरकार 30% शिक्षा पर व्यय सुनिश्चित करें ताकि पर्याप्त संख्या में ताकि पर्याप्त संख्या में शिक्षक एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं पुस्तकें,भवन,खेल मैदान आदि उपलब्ध हो सके, सभी स्तरों पर शिक्षकों के प्रशिक्षण की सुधार एवं नियमित व्यवस्था की जाए सहित अनेक माँग सरकार से की गई।
अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षा के सच्चे निर्माता शिक्षक हैं वही भारत के सच्चे निर्माता है जो लोग एक समृद्ध राष्ट्र और संस्कृति का विकास कर रहे हैं वे शिक्षक हैं, शिक्षक, कुलपति और शिक्षा भागीदार ही इंडिया को भारत बना सकते हैं वे शुक्रवार को शहर के चन्ननहल्ली स्थित जनसेवा शिक्षा संस्थान परिसर में आयोजित अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आठवें राष्ट्रीय सत्र का उद्घाटन करते हुए बोल रहे थे उन्होंने शिक्षकों को प्रोत्साहित किया कि 21वीं सदी में जिसके पास ज्ञान और विज्ञान है वही दुनिया का बड़ा भाई होगा।
उन्होंने कहा कि हमारी मां द्वारा सिखाई गई भाषा राष्ट्र की भाषा है, शिक्षा का महत्व यह है कि हम शब्द,अक्षर, ज्ञान और तकनीक के साथ आगे बढ़ते हैं।
संस्कृति बदल गई है हमने इसे उस संस्कृति से बनाया है जिसे हम बनाते हैं समृद्धि संस्कृति से समृद्धि होनी चाहिए अन्यथा समाज में नागरिक विकास में कठिनाई होगी। उन्होंने कहा कि गुरु सबसे महान है तब तक हम रुके दास नहीं बन जाते गुरु में विलीन नहीं हो जाते तब तक हमें संस्कृति और बहुमूल्य शिक्षा नहीं मिलेगी उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पाठों में शिक्षक छात्र संबंध विकसित नहीं होते छात्रों को विचारों का आदान प्रदान करने हेतु शिक्षक विद्यार्थी से जुड़े होने की आवश्यकता होती है मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में गुरु को परमहंस होने से कोई रोक नहीं सकता।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में पहुंच केंद्रीय कोयला एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि दुनिया बदल रही है द्वितीय विश्व युद्ध से पहले युद्ध अलग थे विद्युतीय विश्वयुद्ध में बदल गए लेकिन यह भारत है इसने कुंवर जैसी बड़ी बीमारी पर मार दिया है भारत दुनिया में एक युवा देश है भारत युवाओं के धन से भरा है उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दूसरे देशों को जीवन दे रहा है उन्होंने कहा कि कोविड के बाद के भारत को दुनिया की मुख्यधारा में लाने का काम प्रधानमंत्री ने किया है।
एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.जेपी सिंघल न्यू परिचयात्मक भाषण दिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय सह-बौद्धिक नेता श्री सुनील भाई मेहता ने बात की शिक्षकों में ही वह ताकत है जो इंडिया को भारत की ओर ले जा सकता है।
एबीआरएसएम के प्रमुख राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर जी व महामंत्री शिवानंद सिदंनकेरा मंचासीन रहे। कार्यक्रम में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस येदुरप्पा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अभा कार्यकारिणी सदस्य प्रो अनिरुद्ध देशपांडे, के नरहरि, शिक्षा भूषण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर पर जांच पड़ताल कर तीन शिक्षकों का सम्मान किया जाता है जिसमें प्रथम परम सम्माननीय श्री डॉक्टर चांदकिरण सलूजा जी महाराष्ट्र से, द्वितीय शिक्षक परम सम्माननीय डॉ एम.के. श्री धरजी कर्नाटक राज्य से, एवम तृतीय शिक्षिका सुश्री भारती ठाकुर जी नर्मदापुरम मध्य प्रदेश से ये सभी शिक्षाविद अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ रहे हैं।
अधिवेशन के आयोजक संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, अतिरिक्त महामंत्री संजय राउत, प्रांताध्यक्ष लछीराम इंगले, महामंत्री क्षत्रवीर सिंह राठौड़, मध्य क्षेत्र प्रमुख विजय कुमार सिंह, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिम्मत सिंह जैन, प्रांतीय संगठन मंत्री किशनलाल नाकड़ा, सह संगठन मंत्री देव कृष्ण व्यास, प्रांतीय सचिव विनय सिंह चौहान के नाम प्रमुख है। वहीं चंबल अंचल से प्रांतीय मीडिया प्रभारी श्यामवीर सिंह राठौड़, संभागीयध्यक्ष नरेश सिंह सिकरवार, प्रांतीय सचिव रामबरन सिंह सिकरवार, जिलाध्यक्ष पवन सिंह परिहार, जिला सचिव रामअवतार सिंह सिकरवार,संभागीय उपाध्यक्ष उमेश पाठक की उपस्थिति रही

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