Sudarshan Today
नसरुल्लागंज

सावन माह के दूसरे सोमवार को शिवालयों में उमड़ी शिव भक्तों की भीड़

सुदर्शन टुडे संवाददाता। नसरुल्लागंज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी विधानसभा के क्षेत्र नसरुल्लागंज से 8 किलोमीटर दूर मां नर्मदा कौशल्या के संगम तट पर भगवान नीलकंठेश्वर महादेव स्थित है जहां पर हजारों की तादाद में जिले एवं तहसील क्षेत्र की जनता प्रतिदिन मां नर्मदा में स्नान करने एवं भगवान नीलकंठेश्वर की पूजा करने पहुंचती है सावन माह के इस पवित्र महीने में भगवान नीलकंठेश्वर के मंदिर में इस समय सोमवार के दिन मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है यहां की सुंदरता मां नर्मदा मां कौशल्या संगम होने के वजह से यह स्थान और भी सुंदर और लुभावना हो जाता है जहां पर मां नर्मदा उत्तरायण में बहती है बताते हैं कि उत्तर दिशा में मां नर्मदा के बहने से यह घाट और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है नसरूल्लागंज क्षेत्र के ग्राम नीलकंठ के ग्राम वासी एवं बुजुर्गों का कहना है कि यहां पर भगवान नीलकंठेश्वर स्वयंभू कहलाते हैं जोकि पाताल लोक से अपने आप यहां पर शिवलिंग प्रकट हुआ है बताते हैं कि जो भक्त यहां पर सच्चे दिल से प्रार्थना करता है उसके मनोरथ जल्द से जल्द पूर्ण होते हैं यहां पर भगवान नीलकंठेश्वर एवं बीच मां नर्मदा में सदाशिव भगवान का शिवलिंग होना बताते हैं जहां पर हर शिवरात्रि की रात रात्रि को दूध की धारा देखने को मिलती है और बताते हैं कि यह शिवलिंग अति प्राचीन काल से यहां पर स्थित है मां नर्मदा इनकी परिक्रमा लगा कर फिर उत्तर की तरफ बहती है वही दर्शकों का कहना है यहां पर भगवान नीलकंठेश्वर के पास में भगवान दत्त नारायण मां अनसूया के लाल दत्त जी का मंदिर विद्यमान है वही जगत जननी मां नर्मदा का मंदिर मां नर्मदा के तट पेडी घाट पर स्थित है नर्मदा मंदिर के पुजारी बताते हैं हां पर जगत जननी मां नर्मदा के तीनों रूप देखने को मिलते हैं सुबह जगत जननी कन्या के रूप में दर्शन देती है दिखाई देती है दोपहर को मां रूप में नजर आती है शाम को बुजुर्ग के रूप में मूर्ति में परिवर्तन देखने को मिलता है मैं जब से यहां मंदिर में आया हूं मां नर्मदा की मूर्ति मैं इस प्रकार के चमत्कार देखकर मैं कृतज्ञ रहता हूं एवं भगवान राम जानकी मंदिर मां नर्मदा के तट पर विराजमान होने के वजह से भी यहां का दृश्य अति सुंदर एवं मनमोहक दिखाई देता है यहां पर मां नर्मदा के कल कल करती धोनी ऐसा लगता है मानो

भक्तों के मन को लुभाती है इस सावन के पवित्र माह में भगवान नीलकंठेश्वर की पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों का ताता लगा रहता है कोई भगवान नीलकंठ का अभिषेक करता नजर आता है तो कोई भक्तगण मिट्टी के पार्थेश्वर महादेव बनाकर पूजन करता नजर आता है तो कोई भगवान शिव के ओम नमः शिवाय ध्वनि का उच्चारण करते नजर आते हैं यहां पर प्रति सोमवार भगवान शिव का जाप सतत रूप से किया जाता है भगवान पारदेश्वर महादेव की पूजा ब्राह्मण के द्वारा करवाते हुए भक्त नजर आते हैं वही भक्तों द्वारा नसरुल्लागंज से नीलकंठ तक पैदल चलकर मां नर्मदा के जल को कावड़ के रूप में ले जाकर भक्तगण अपनी इच्छा अनुरूप नगर के मंदिरों में कावड़ जल चढ़ा चढ़ा कर अपनी इच्छा पूरी कर करने के लिए भगवान को मनाते हैं

भगवान नीलकंठेश्वर मंदिर के पुजारी महंत रेवा शंकर जी महाराज का कहना है कि सागर मंथन के समय हलाहल विश,को पीने के बाद भगवान भोलेनाथ ने राम जी की माता ,मा कौशल्या एवं मां नर्मदा संगम पर अपनी शांति के लिए कुछ देर विश्राम किया तब से ही इस गांव का नाम नीलकंठ भी पढ़ा,यहां पर भगवान नीलकंठेश्वर जो स्वयंभू है जो अपने आप जमीन से शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं और वह सदा भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं सावन के इस पवित्र माह में भगवान शिव एवं मिट्टी से बने पार्थेश्वर पूजन करने से समस्त देवताओं का पूजन माना जाता है एवं मनवांछित फल की प्राप्ति होती है

पंडित महेंद्र व्यास जी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि सावन के इस पवित्र माह में सतयुग में लोग रत्नेश्वर महादेव का पूजन करते थे सोने-चांदी रत्न,से शिवलिंग बनाते थे और उनकी पूजा अर्चना करते थे किंतु कलयुग में लोगों के पास, रत्न ना होने की वजह से रेत मिट्टी बालू से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करते हैं और प्राण प्रतिष्ठा करते हैं और शाम को विसर्जित कर देते हैं सावन का यह पूरा महीना भगवान भोलेनाथ का माना जाता है इस माह में शिवलिंग की पूजा करें या पार्थेश्वर मिट्टी के शिवलिंग बनाकर पूजा करें भगवान बराबर पुण्य फल प्रदान करते हैं

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