संवाददाता। सुदर्शन टुडे सिलवानी
सिलवानी। भारत का युवा जागृत हो जावे तो भारतीय संस्कृति को ना केवल सुरक्षित व संरक्षित किया जा सता है बल्कि पाश्चात्य सभ्यता को देश से बाहर किया जा सकता है। युवा जागृत हो गया तो भारत देश की पावन बसुंधरा पर कभी भी अनर्थ नही हो सकता है। यह कहना है आचार्य विद्यासागर महाराज, आचार्य आर्जव सागर महाराज के शिष्य मुनि विलोक सागर महाराज का । वह सोमवार को स्वाध्याय भवन में समाजजनो को संबोधित कर रहे थे। अखण्ड दिगंबर जैन समाज के द्वारा 10 दिनी सम्यगज्ञान संस्कार शिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। सोमवार को शिविर का चतुर्थ दिवस था। उन्होने बताया कि यह शाष्वत सत्य है कि इस पंचम काल में युवा ही धर्म रुपी रथ को आगें बढ़ाने में अपनी निर्णायक भूमिका निभाएगें बल्कि धर्म पताका हर दम हर पल व हमेशा ही लहलहाती रहे इसके लिए सदैव समर्पित रहेगे। युवा संस्कृति को जीवित रखे इसका दायित्व समाजजनो के साथ ही युवाओं पर भी है। समाजजन युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने।मुनि विलोक सागर महाराज ने बताया कि राष्ट्रसंत आचार्य विद्यासागर महाराज 54 साल पूर्व 24 साल की आयु में मुनि दीक्षा लेकर मुनिराज बने तव से लगातार वह राष्ट्रहित में काम कर रहे है।