सुदर्शन टुडे संवाददाता दिनेश तिवारी सीहोर
मानव जीवन सबसे बड़ा जीवन है, यह बार-बार नहीं मिलता है-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर। मानव जीवन सबसे बड़ा जीवन है। यह बार-बार नहीं मिलता है। सत्कर्मों एवं अच्छे कार्यों के माध्यम से मानव इस जीवन से मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। अन्यथा मरणोपरांत मनुष्य को अनेक योनियों में बार-बार भटकना पड़ सकता है। इसलिए आदि शकराचार्य ने कहा था कि जीवन बार-बार जन्म लेने के लिए नहीं है। मानव की देह हमें भगवान के नाम के जाप, भजन, भगवान का स्मरण और ध्यान करने के लिए प्राप्त हुई है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय श्री नारद शिव महापुराण के अंतिम दिन कहे। शनिवार को बारिश के बाद भी यहां पर बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने रिमझिम फुहारों के मध्य पूरी भक्ति के साथ कथा का श्रवण किया। इस मौके पर कथा श्रवण करने पहुंचे जनसैलाब को संबोधित करते हुए भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि उक्त कथा आन लाइन रखी थी, लेकिन आपकी भक्ति के जोश ने उसको भी आफ लाइन कर दिया। भगवान भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करे। उन्होंने कहा कि कुबेरेश्वर महादेव धाम के कण-कण में शंकर का वास है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य का दर्शन सर्वत्र समाज को एक सूत्र से जोड़ता है, जिससे समाज को एक नई दिशा मिलती है। आचार्य शंकर ने सत्य की खोज की। भारत भिन्नता के बाद भी एकात्मता की अनुभूति करता है, यही हमारी सर्वोच्च सांस्कृतिक धरोहर एवं उच्च आदर्श हैं। हमारे पूरे देश को एकजुट किया था। उन्होंने कहा कि जब तक भगवान शंकर की कृपा नहीं होती तब तक मनुष्य एक कदम भी भगवान की ओर नहीं बढ़ा सकता। शिव पुराण कथा कहती है जब मनुष्य मां की कोख मे होता है तो रक्त, जल में सना हुआ होता है, और जब जन्म लेता है तो संसार के जितने सुख-दुख, धर्म कर्म है उनमें रमा हुआ होता है। अंतिम समय आता है तो वह भगवान का भजन करता है और प्राण छूटने पर भस्म में बदल जाता है। मनुष्य के अंतिम क्षण का समय बड़ा मूल होता है। अंतिम क्षण भक्ति में लगाओ तो शिवत्व अवश्य प्राप्त करोगे। किसी भी काम को करने के लिए मन में विश्वास होना चाहिए तो कभी भी जीवन में असफल नहीं होंगे। जीवन को सफल बनाने के लिए शिव महापुराण का श्रवण करने से जन्मों का पाप कट जाता है।