नीलेश विश्वकर्मा/पथरिया
पथरिया जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य कराके जहां सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है, वहीं पंचायत प्रतिनिधि हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर बेपरवाह हैं। न उन्हें जांच की चिंता है, न अधिकारियों का डर है ग्राम पंचायत खैजरा लखरोनी के ग्राम भैंसा में शाला के पास यात्री प्रतीक्षालय कागजों में बनकर तैयार हो गया एवं उसकी राशि निकाली गई तो वही तो उक्त संबंध में कोई जानकारी नहीं। ग्राम पंचायतों में पूर्व सरंपच, एवं सचिव और ग्राम रोजगार सहायक की तिकड़ी का बेलगाम राज चल रहा है। अब जबकि पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के प्रथम चरण में 25 जून को चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में इस तिकड़ी को जनपद अधिकारियों के चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त होने के चलते मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है। पहले भी ऐसे तमाम काम कराए गए जिनमें कमाई का रास्ता नजर आया। यहां तक कि कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं, ऐसे निर्माण कार्य कराके जिम्मेदारों ने अपना-अपना हिस्सा तो ले लिया पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं। मनरेगा के काम मशीनों से कराके फर्जी मस्टर भरे जा रहे हैं, शिकायतों को अनदेखा करके जिम्मेदार मौन हैं। जन समस्याओं को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा सकती है वहीं कुछ मामलों में अधिकारी दिखावे की कार्रवाई करके अपनी कमी छिपाने में जुटे हैं।मामला पथरिया जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत खैजरा लखरौनी से सामने आया है जहां पर दिनांक 20/04/2018 को ग्राम भैंसा में शाला के पास यात्री प्रतीक्षालय स्वीकृत किया गया था जिसका निर्माण किए बिना लगभग 200000 रुपए की राशि का आहरण कर लिया गया है राशि का आहरण निम्न तारीखों में किया गया पहला बिल दिनांक : 08/08/2018 को 149930 रुपए का बिल का एवं दूसरा बिल दिनांक 12/11/2021 को 49500 रुपए का भुगतान किया गया है जानकारी के अनुसार उक्त राशि वर्ष 2018 में पूर्व विधायक की निधि से जारी हुई है। जबकि पंचायत के ग्राम भैंसा में किसी भी यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण नहीं किया गया है विदित हो कि निर्माण कार्य होने के बाद राशि का आहरण बिना जियो टैग के नहीं होता है जो कि सचिव के द्वारा किया जाता है उसके उपरांत उपयंत्री के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है उसके बाद बिल भुगतान होता है, लेकिन आपको बता दें कि जियो टैग के लिए गांव के एक हितग्राही के शौचालय का फोटो जियो टैग किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि जब निर्माण कार्य नहीं किया गया तो फिर उपयंत्री ने मूल्यांकन कैसे कर दिया एवं बिना मुल्यांकन के राशि आहरित कैसे हुई। जब इस संबंध में उपयंत्री आरिफ खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ग्राम भैंसा यात्री यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण नहीं किया गया है ना ही मेरे द्वारा यात्री प्रतीक्षालय का कोई भी मूल्यांकन नहीं किया गया है ना ही कोई फाइल तैयार की गई है उन्होंने कहा कि इस संबंध में सचिव से बात करनी पड़ेगी क्योंकि मेरे द्वारा कोई भी मूल्यांकन नहीं किया गया है और मुझे ज्ञात है कि भैंसा में कोई भी यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण नहीं किया गया है।तो यहां सवाल उठता है कि जब उपयंत्री के द्वारा मूल्यांकन ही नहीं किया गया तो फिर बिना मूल्यांकन के राशि का आहरण कैसे किया गया है और अगर सचिव के द्वारा बिना मूल्यांकन की राशि का आहरण किया गया तो पंचायत इंस्पेक्टर जोकि उनका मुख्य कार्य होता है पंचायतों के द्वारा होने वाले भुगतान हो पर नजर रखना तो फिर क्या उन्हें इसकी भनक नहीं लगी। जब इस संबंध में पंचायत इंस्पेक्टर ताराचंद्र खोबरागड़े से बात की गई तो कहना था कि बिना मूल्यांकन की राशि का आहरण होना संभव नहीं है तो उनसे पूछा गया की पंचायत इंस्पेक्टर होने के नाते आपका दायित्व है कि आप पोर्टल पर नजर रखें तो क्या आप को भनक नहीं लगी इस ट्रांजैक्शन की तो उन्होंने कहा कि मैं पता करके बताता हूं कि किस लिए राशि निकाली गई है जब उनसे उनकी जिम्मेदारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिना जवाब दिए ही फोन काट दिया जब इस संबंध में सचिव से बात करनी चाही तो सचिव दशरथ पटेल की अपनी मनमानी की आदत के चलते कई बार फोन करने के बाद भी फोन नहीं उठाया गया ।जब इस संबंध में सीईओ जितेन्द्र जैन से बात करनी चाही उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।इस संबंध में पूर्व विधायक लखन पटेल का कहना है बहुत जगह राशि जारी की गई होगी याद नहीं देख कर बताना पड़ेगा अभी मैं बाहर हूं लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि उपयंत्री को कोई जानकारी ना हो और राशि निकल जाए। इनका कहना मैं दिखवाता हूं यदि ऐसा है तो कार्यवाही की जाएगी। आशीष श्रीवास्तव सीईओ जिला पंचायत दमोह