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पुलिस के कर्तव्य- फरियादी के अधिकार-फोरेंसिक का चमत्कार

सुदर्शन टुडे शहडोल

शहडोल।पुलिस के विहित कर्तव्यों की श्रृंखला में से पुलिस का सबसे मौलिक कर्तव्य जनता की समस्याओं को सहानुभूतिपूर्वक सुनना और दर्द को हृदय से महसूस कर समुचित कानून के सिद्धांतों के अनुसार द्रुत गति से वैधानिक कार्रवाई करना है।
पुलिस को अपराध की रोकथाम और अपराध का पता लगाने, दोनों पर ध्यान देना चाहिए। जनता की शिकायत पर पुलिस का ध्यान अपराध को घटित होने से रोकने का एक समय-सिद्द विधान है।
दुनिया भर में शिकायत की जांच और प्रथम सूचना रिपोर्ट की विवेचना, दो अलग-अलग मानक प्रक्रियात्मक न्याय दिलाने की विधियां हैं। एक शिकायतकर्ता की पूछताछ में, जांच अधिकारी को शिकायत में लगाए गए आरोपों के अनुसार तथ्यों और आंकड़ों के अनुसार डेटा और बयान एकत्र करना होता है। डेटा के बाद शिकायतकर्ता और शिकायत में आरोपी, दोनों को, जांच अधिकारी को शिकायतकर्ता की संतुष्टि और न्याय हित में निष्पक्ष निर्णय के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।यह सब तत्परता से होना चाहिए जबकि, प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार विवेचना में, विवेचना अधिकारी को कर्तव्यनिष्ठा से निर्धारित प्रोटोकॉल का अनुसरण करना चाहिए, जैसे: अपराध के घटना स्थल का दौरा करना, अपराध स्थल को सुरक्षित करना, भौतिक साक्ष्यों की संधारण के लिए फोरेंसिक, फिंगर प्रिंट, साइबर विशेषज्ञों,पुलिस डाग आदि को साथ लेना और जांच के तहत मामले पर आगामी विशेषज्ञ की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के लिए इसका सही संग्रह करना। प्रत्येक मामले में, अपराध स्थल, मृत या घायल या लूटे गए और आरोपी के बीच अंतर्संबंध उजागर एवं स्थापित करने के लिए अपराध स्थल पर मौजूद भौतिक साक्ष्य एकत्र किए जाने चाहिए।
शिकायत की जांच और प्रथम सूचना रिपोर्ट में जांच दो अलग-अलग घटनाएं हैं। एक शिकायतकर्ता की पूछताछ में, जांच अधिकारी को शिकायत में लगाए गए आरोपों के अनुसार तथ्यों और आंकड़ों के अनुसार डेटा और बयान एकत्र करना होता है। डेटा के बाद शिकायतकर्ता और शिकायत- अभियुक, दोनों को, जांच अधिकारी को शिकायतकर्ता की संतुष्टि के लिए निष्पक्ष निर्णय के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।
जबकि, प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार विवेचना में, विवेचना अधिकारी को कर्तव्यनिष्ठा से निर्धारित वैज्ञानिक प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए जैसे: अपराध स्थल का दौरा करना, अपराध स्थल को सुरक्षित करना, भौतिक साक्ष्यों की संधारण के लिए फोरेंसिक, फिंगर प्रिंट, साइबर विशेषज्ञों आदि को साथ लेना और जांच के तहत मामले पर आगे के विशेषज्ञ की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के लिए इसका सही संग्रह करना चाहिए। यथास्थिति घटनास्थल/साक्षियों से/अस्पताल से जप्त भौतिक साक्ष्यों को तत्काल विधिवत फोरेंसिक लैबोरेट्री एवं अन्य विशेषज्ञ जांच संस्थान को भेजेंगे और विशेषज्ञ रिपोर्ट शीघ्र प्राप्त करके केस डायरी का अभिन्न विवेचनात्मक हिस्सा बनाएगें। प्रत्येक मामले में, अपराध स्थल, मृतक या घायल या लूटे गए और आरोपी के बीच सहसंबंध ज्ञात करने के लिए अपराध स्थल पर मौजूद भौतिक साक्ष्य सावधानीपूर्वक
एकत्रित किए जाने चाहिए।यह आरोपी की अपराध में संलिप्त होने की पुष्टि अभियान के दृष्टिकोण से माननीय न्यायालय में वैधानिक / फोरेंसिक आधार पर प्रस्तुत करने में सहायक होगा।
इन प्रयासों को जमीनी स्तर पर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के प्रासंगिक दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए। घटना से जुड़े लोगों के बयानों को गवाहों द्वारा बताए गए अनुसार सच्चाई से लिया जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो ऐसे महत्वपूर्ण गवाहों के बयान संबंधित माननीय न्यायालय के समक्ष भी करवाए जा सकते हैं। वरिष्ठ पर्यवेक्षण पुलिस अधिकारियों को भी अपराध स्थल का दौरा करना चाहिए और उचित चैनलों के माध्यम से जांच अधिकारियों को पर्यवेक्षण नोट लिखकर जांच प्रक्रिया में नेतृत्व और मार्गदर्शन देना चाहिए। जांच शुरू होते ही अभियोजन अधिकारियों की सेवाएं प्राप्त की जानी चाहिए और विशेष रूप से किसी भी मामले के आरोप पत्र की केस डायरी की जांच की जानी चाहिए ताकि मामला अभियोजन पक्ष के लिए माननीय न्यायालय में वैधानिक बहस के लिए उपयुक्त मामला बन सके। शिकायतकर्ता को न्याय दिलाने के लिए न्यायालय से आधारभूत और तथ्यात्मक प्रार्थना करें। न्याय और त्वरित न्याय ही पुलिस और अभियोजन की प्राण-वायु है।

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