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बैतूल

जिसने गांव को आदर्श पंचायत नहीं बनने दिया जिसने 15 लाख नहीं मिलने दिया उसके लिए एक करोड …..!!!

बैतूल/मनीष राठौर

पूरे देश में अजब गांव की गजब दास्तां के साथ विश्व पटल पर जिस गांव की प्रसिद्धी पहुंची उस गांव की आन – बान – शान में एक और पहचान लग जाती यदि गांव र्निविरोध सरपंच से लेकर पंच चुन लेता। एक व्यक्ति की जिद के आगे पूरा गांव हार गया और गांव को मिलने वाली 15 लाख रूपये की सम्मान निधि से पूरा गांव वंचित हो गया। जिला मुख्यालय से मात्र 0 9 किमी दूर स्थित ग्राम रोंढा की ग्राम पंचायत को पिछली बार आदर्श ग्राम पंचायत बनाने की एक कोशिस गांव के ही एक युवक प्रदीप डिगरसे द्वारा की गई थी । उस समय गांव की सरपंच की सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित थी। उस समय गांव के लगभग एक दर्जन पंच र्निविरोध चुन लिए गए। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा पिछडे वर्गो के लोग को आरक्षण का लाभ देने की मंशा के चलते उस समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की शुरू की गई प्रक्रिया निरस्त करने के बाद जब गांव का आरक्षण का लाभ पिछडे वर्ग को मिला लेकिन अगले – पिछडे के चक्कर में पूरा गांव पिछड गया। गांव में सरपंची की कुर्सी के लिए गांव की सहमति असहमति में बदल गई। गांव के मूल निवासी पूर्व कलेक्टर प्रदीप कालभोर से लेकर प्रदीप डिगरसे तक ने पूरी कोशिस की कि गांव की पंचायत इस बार र्निविरोध चुनी जाए लेकिन गांव के ही ब्लाक ग्रामिण कांग्रेस मंडल अध्यक्ष तरूण कालभोर की सरपंच बनने की जिद ने गांव को मिलने वाली 15 लाख की सम्मान निधि से गांव को वंचित कर दिया। गांव के अधिकांश लोगो ने सर्व सम्मति से अशोक पंवार जग्गू बारंगे के नाम पर सहमति का प्रस्ताव रखा लेकिन तरूण कालभोर स्वंय सरपंच की कुर्सी पाना चाहते थे और गांव की आपसी सहमति पर पानी फिर गया।
विधायक के बोल बच्चन
रोंढा को एक करोड का आफॅर …!!!
वर्तमान में ग्राम पंचायत रोंढा में सरपंच के महासंग्राम में त्रिकोणी मुकाबला देख बैतूल विधायक निलय विनोद डागा अपने समर्थक तरूण कालभोर को जिताने के लिए गांव पहुंचे। श्री डागा को यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि गांव रोंढा उनके समर्थक की जिद की वजह से आदर्श ग्राम पंचायत और उसे मिलने वाली 15 लाख रूपये की सम्मान निधि से वंचित हो गया है। श्री डागा ने आदर्श आचार संहिता लागु होने के बाद भी गांव की जनतो से वादा कर आए कि वे अपनी विधायक निधि से गांव रोंढा को एक करोड रूपये देगें….! सवाल यह उठता है कि बीते साढे तीन साल में विधायक ने एक करोड क्यों नहीं दिलवाए जग उन्हे मालूम था कि गांव वालो की पेयजल सप्लाई कर रही पेयजल योजना का बिजली का बिल बकाया होने के कारण गांव की पेयजल योजना की बिजली कट चुकी थी। ऐसे समय गांव को एक करोड रूपये मिल जाते तो हो सकता है कि गांव की बिजली जैसी अनेक समस्या का समाधान हो जाता।
1 साल में कहां से देगें एक करोड रूपैया
148 गांव भी तो है विधानसभा क्षेत्र में
ग्राम पंचायत रोंढा के लिए विधायक भलां डेढ साल में एक करोड रूपये एक ही गांव को कैसे दे पाएगें जबकि उनकी बैतूल विधानसभा क्षेत्र 2 लाख 32 हजार मतदाता बैतूल एवं आठनेर जनपद क्षेत्र के लगभग 148 गांवो में रहते है। मध्यप्रदेश में एक विधायक को एक वित्तीय वर्ष में मिलने वाली विधायक निधि 59 लाख रूपये थी। आने वाले वर्ष 2023 जब पूरे प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने है ऐसे में बैतूल विधायक को एक करोड रूपैया मिल भी गया तो क्या वे इस गांव में एक करोड रूपैया खर्च कर देगे तो बाकी गांवो का क्या होगा…! विधायक इस बात को भली भाती जानते है लेकिन बोल बच्चन करने से तरूण कालभोर की नैया पार लग जाए..!
ठगने को सिर्फ रोंढा मिला….!
बैतूल जिले का एक जमाने में सर्वाधिक शिक्षित एवं जागरूक गांव रहा रोंढा बैतूल जिले में अपनी अच्छी खासी पकड रखता है। इस गांव से जिनका नाता है वे देश – परदेश में अपनी यश कीर्ति का प्रताका फहरा रहे है। गांव के स्वर्गीय शेषराव बारंगे बैतूल जनपद के अध्यक्ष रह चुके है। गांव के ही पूर्व सरपंच रमेश पंवार जिले के एक मात्र संगीत महाविद्यालय के प्राचार्य एवं जाने माने संगीतकार स्व. रविन्द्र जैन के रूम मेंट । गांव के एक युवक पीएमओ में अपनी सेवाए दे चुका है और एक सिंगरौली में एसडीएम के पद पर कार्यरत है। गांव के स्वर्गीय डां एन आर कालभोर आगरा विश्व विद्यालय के डीन रह चुके है। गांव के स्वर्गीय मुन्नालाल देवासे एवं स्वर्गीय गोपीनाथ कालभोर देश – प्रदेश के ख्याति प्राप्त कवि एवं साहित्यका रह चुके है। गांव का आदमी हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। ऐसे गांव में अपने समर्थक की जिद के चलते गांव को हुआ 15 लाख रूपैया की तथाकथित भरपाई को 1 करोड का आफर देकर विधायक ने गांव के संग ही ठगी करने का काम किया है। बैतूल के विधायक जानते है कि एक गांव को अगले वर्ष मिलने वाली राशी जो एक करोड का आकडा भी पार नहीं कर पाएगी भलां उसे 147 गांवो को ठेंगा दिखा कर कैसे दे पाएगें…! अब 25 जून को गांव को तय करना है कि वह तीन प्रत्याशी के बीच त्रिकोणी संघर्ष में किसके सर पर ताज रखे।

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