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परिवार की उपेक्षित सोच वृद्धा आश्रम

वृद्धाश्रम एक ऐसा स्थान जहां बुजुर्गों को रहने के लिए आश्रम तथा भोजन उपलब्ध कराया जाता है उन्हें अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं माता-पिता अपना पूरा जीवन बच्चों की खुशी के लिए समर्पित कर देते हैं क्या बुढ़ापे में उन्हें वही प्यार बच्चों के द्वारा मिल पाता है उत्तर है नहीं क्या बुढ़ापे में उन्हें परिवार के साथ रहने का अधिकार नहीं यह विचारणीय प्रश्न है और जटिल समस्या भी जिन माता पिता ने हमें चलना सिखाया और आज जब उनके कदम डगमगाने लगे तो उन्हें असहाय अकेला छोड़ देना क्या उचित है और तो और ऐसी दशा में उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आना क्या सही है ऐसा करते वक्त क्या बच्चों की आत्मा उन्हें धिक्कारती नहीं है या अपने आप से उन्हें घृणा नहीं होती अक्सर उम्र के पड़ाव पर पहुंचकर बुजुर्ग अपने आप को अकेला महसूस करने लगते हैं| समाज और परिवार में बुजुर्गों की उपेक्षा का सबसे बड़ा कारण आज की युवा पीढ़ी को अपनी जिंदगी में जरा भी दखलअंदाजी पसंद नहीं होना है बुजुर्ग बरगद के वृक्ष की भांति है जो फल भले ही ना दे लेकिन छाया अवश्य प्रदान करते हैं युवाओं में बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना लगभग समाप्त हो गई है एकाकी जीवन शैली भी बुजुर्गों की उपेक्षा को बढ़ावा दे रही है बुजुर्ग परिवार व समाज के केंद्र होते हैं आजकल बहुत से बच्चे माता-पिता के साथ घर पर नहीं रहना चाहते उन से छुटकारा पाने के लिए वृद्ध आश्रम में भेजते हैं
सीमा त्रिपाठी
लालगंज प्रतापगढ उत्तर प्रदेश

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