बुजुर्गों का सम्मान
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
सदा खुश रखने का प्रयास तुम करना
उन्हीं के कारण आज तुम हो इस जग में
उन्हीं का खून बहे है नस नस में
सत्य पथ पर चलना सिखाया
स्कूल भेजा और पढ़ना सिखाया
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
आज की पीढ़ी इनकी करती क्यों कद्र नहीं
यह बात होती है मुझे अब सब्र नहीं
वृद्ध आश्रम में क्यों छोड़ दिया उनको
मन तनिक भी क्या धिक्कारा नहीं तुमको
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
शक्ति क्षीण हुई तो बोझ बन गए
सारे के सारे सपने चकनाचूर हो गए
सोचा था बूढ़ी आंखों को तू ही राह दिखाएगा
पैसा कमाने की खातिर तू मुझसे दूर हो जाएगा
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
मंदिर जाकर तूने पूजा और पाठ किया
घर में बुजुर्गों का जीना दुश्वार किया
तुम्हें पता नहीं क्या ताकत उनके आशीष की
देव तुल्य है माता-पिता छाया उनमें ईस की
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
उनकी आंसुओं की कीमत क्या पता नहीं तुमको
उनके ना होने पर एहसास होगा जरूर तुमको
दिल से करो सम्मान और प्यार तुम उनको
बचपन वाला प्यार ही तो चाहिए उनको
बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना
सदा खुश रखने का प्रयास तुम करना
सीमा त्रिपाठी
लालगंज प्रतापगढ़