सुदर्शन कृष्ण सोनी
पचोर (सुदर्शन टुडे)।
अबकी बार आम चुनाव कुछ हटकर देखने को मिल रहा है। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं अम्बानी अडानी का रोना है। विकास इतना हुआ की रजाई में से सर और पैर दोनों साफ दिख रहें है।नेतृत्व का साहस इतना बड़ा की वर्षो से देश के सबसे बड़े मुद्दे,, रामलला मंदिर,, धारा 370 चुटकी में हल हो गए। भारत की महिमा इतनी भारी हो गई की विश्व का हर देश मोदी मोदी कर रहा है। भारत की सबसे बड़ी सीमा समस्या पाकिस्तान फटे हाल है।उसे कोई धरम साटे भी नहीं पूछ रहा। तो मुझे याद आए सैनिको के कटे सर,गैस टंकियों की लम्बी कतारे,, घासलेट के लिए संघर्ष करता आम आदमी, बिजली का इंतजार करता किसान,सड़क में गड्डे, गड्डो की सड़के,,मोन मनमोहन, दिल्ली बॉम्बे अक्षर धाम रघुनाथ मंदिर होटल ताज एयर पोर्ट, के बम धमकों से सहमा भारत।लाल चौक पर तिरंगा लहराने पर कत्लेआम की धमकिया।संतो पर अत्याचार आतंकवादियों को सम्मान। मंदिर की प्रसादो पर टेक्स, अमरनाथ वैष्णव देवी की दहशत भरी यात्राएं।
अब मुद्दों में न प्याज़ न टमाटर न जीत हार पर कोई बात,, एक ही विषय क्या भाजपा 400 पार करेंगी।भाजपाई कहते है मोदी जादूगर है,, मोदी है तो मुमकिन है। कांग्रेस कहती है नहीं 370 पर रह जाएगी। मतलब जीत हार का तो कोई विषय ही नहीं बचा। पान की दुकाने,, चाय की दुकाने,, चौक चौराहो की जगह अब मोबाइल फोन पर ही चुनाव। बस एक ही मुद्दा एक ही बात राम राम और राम। मुझे लगता है बरसो से दबी एक आवाज़ जो शौर मचा रहीं है,, उस आवाज़ का नाम है राम,,, और ये कोई एक धर्म या जाती मजहब का विषय है ऐसा भी नहीं है। कोटी कोटी भारतीयों की आवाज़ है राम। कांग्रेस भी साबित कर रहीं है हम राम के है जो पहले कभी इस नाम को लेने से बचते थे।अब कहते है हम तो रोज मंदिर जाते है, रामजी हमारे आराध्य है। अब आराध्य है तो निमंत्रण क्यों ठुकराया।तो बोलते है शंकराचार्य जी नहीं गए। अब गाँव गाँव में हजारों मंदिरो की स्थापना हुई वहाँ भी शंकराचार्य नहीं होते तो क्या वहाँ रामजी प्रतिष्ठित नहीं हुए। प्रतिष्ठा हमारे प्राचीन कर्मकांड में उल्लेखित एक विज्ञान है जिसके माध्यम से मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित किए जाते है। यह प्राण प्रतिष्ठा ज़ब से चली आ रही है तब शंकराचार्य भी नहीं थे,, मतलब कांग्रेस को न तो कर्म का पता है न कर्म कांड का।
न जाने कौन सलाहकार है जिसने पूरी तरह से कांग्रेस को निपटाने की सुपारी ले रखी है,, नहीं तो इतना नुकसान होने पर भी सुधार की एक पहल कांग्रेस करने को तैयार नहीं। आम जनभावना से अपरिचित कांग्रेस न जाने क्यों समझ नहीं पा रहीं की लोग क्या चाहते है।बस एक ही मुद्दा मोदीजी को गाली,,और मोदी को गाली खुद की बर्बादी,, इन्हे कोई सद्बुद्धि दे।