Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

शिव पुराण कथा का पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारे के साथ हुआ समापन

सुदर्शन टूडे राहुल गुप्ता

नागलवाड़ी के समीप ग्राम नीलकंठ के भिलट मंदिर प्रांगण में 11 अप्रैल से आयोजित शिवपुराण कथा का समापन राम नवमी को पूर्णाहुति के साथ हुआ।
आयोजक समिति के दयाराम बाबा ने बताया कि
शिवपुराण के कथा वाचन गोपाल कृष्ण महाराज शक्कर खेड़ी उज्जैन के सानिध्य में संपन्न किया गया है जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीजन शामिल हुए। कथा श्रवण से नीलकंठ ग्राम भक्तिमय हो गया।

कथावाचक गोपाल कृष्ण जी महाराज ने कथा सुनाते हुए भक्तों से कहा की शिव महापुराण धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष रूपी चारों पुरुषाथोर् को देने वाला शिव का अर्थ है कल्याण है। शिव के महात्मय से ओत-प्रोत यह पुराण शिव महापुराण के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान शिव पापों का नाश करने वाले देव हैं तथा बड़े सरल स्वभाव के हैं। इनका एक नाम भोला भी है। अपने नाम के अनुसार ही बड़े भोले-भाले एवं शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को मनवाँछित फल देने वाले हैं। कथावाचक श्री महाराज ने श्रद्धालुओं से कहा कि धार्मिक आयोजनों में भावनाएं होनी जरूरी है। भावनाएं भाव के रूप में धर्म में आकर कर्म के रूप में कायोर् की ओर चलती हैं। सगुण, साकार सूर्य, चंद्रमा, जल, पृथ्वी, वायु यह एक शिव पुराण का स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि अपने चारों ओर सदैव वातावरण शुद्ध रखें। जहां स्वच्छता और शांति होती है, वहां देवताओं का वास होता है। जल,वायु, पेड़ एक चेतन से लेकर जड़ चेतन में आकर एक-दूसरे के सहायक बनते हैं। जहां अधार्मिकता बढ़ जाती है और कर्म को भूल जाते हैं, वहां शिव और शक्ति दोनों नहीं होते।शिव की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव ही मनुष्य को सांसारिक बन्धनों से मुक्त कर सकते हैं, शिव की भक्ति से सुख व समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। कहा कि इस अलौकिक शिवपुराण की कथा सुनना अर्थात पाप कमोर् से विमुक्त होना है। आयोजित शिव महापुराण में कथा को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुचे। कथा सार सुनकर झूमे श्रोता पूर्णाहुति के पूर्व शिवपुराण के कथा वाचन गोपाल महाराज ने शिव महापुराण कथा का सार बताया। उन्होंने कहा कि अपने अभिमान में चूर होकर दक्ष प्रजापति ने कनखल में यज्ञ किया। इसमें सभी देवों व ऋषि मुनियों को आमंत्रित कर उन्होंने भगवान शिव की उपेक्षा की। इसकी सूचना सती को अपनी सहेलियों से मिली, इसके बाद शिव के समझाने के बाद भी वे यज्ञ में पहुंच गई। वहां देखा कि भगवान शिव का अपमान हो रहा है। पूछने पर राजा दक्ष ने सती का भी अपमान किया। नाराज सती ने यज्ञ कुंड में ही अपना शरीर त्याग दिया। यह जानकारी जब शिव को हुई,तब वे रौद्र रूप में आ गए और उन्होंने अपने गणों की मदद से कनखल को तबाह कर दिया। कथा के इस प्रसंग को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।
कथा को सुनने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अंतर पटेल ,भाजपा के वरिष्ठ नेता दिनेश यादव ,कैलाश चौहान ,महेश यादव साथ आदि सैकड़ों नेता सामिल हुए ।
कथा के पश्चात विशाल भंडारा का भी आयोजन किया गया ।

कथा में इन कार्यकर्ता ने किया विशेष सहयोग दिलीप जी महाराज कैलाश जी चौहान ,अजय खन्ना, भुरू भाई ,अमर सिंह भाई, गमरसिग सिंह ,श्यामलाल दिलीप, चौहान जगदीश रोमडे, बिसन सुनील ,शोभाराम रेवाराम, रवि एवं आदि कार्यकर्ता ने किया सहयोग।

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