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पीथमपुर

ईद पर वक्त के कामिल मुर्शिद, आला फकीर बाबा उमाकान्त जी महाराज की इस्लाम धर्म के मानने वालों से अपील

मनुष्य शरीर रूपी जिस्मानी मस्जिद में मुर्दा-मांस डालकर नापाक मत करो, कामिल मुर्शिद से इल्म लेकर रूहानी इबादत करो तब वह मालिक मिलेगा

पीथमपुर/ वक्त के कामिल मुर्शिद, आला फकीर, सभी रूहों के निजात का रास्ता बताने वाले उज्जैन के बाबा उमाकान्त महाराज ने ईद पर अपने प्रवचनों में कहा की इस्लाम के मानने वाले रोजा रखते हैं, दिन भर उपवास करते, पानी तक नहीं पीते लेकिन ईद के बाद फिर (खाने में) परहेज नहीं करते हैं।इतना रोजा-नमाज करने बाद भी वह मालिक खुश क्यों नहीं हो रहा परहेज यानी जो खाने-पीने की चीज है, उनको खाया जाए और जो चीज खाने-पीने के लिए भगवान खुदा ने नहीं बनाया, इंसान का भोजन खाना नहीं बनाया, उसको नहीं खाना चाहिए, उससे परहेज करना चाहिए। जैसे रोजा में परहेज रखते हो, दिन में पानी नहीं पीते, सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद खाते हैं, ऐसे ही परहेज रखना चाहिए। इस शरीर को गंदा नहीं करना चाहिए। इतना दिन हल्का-फुल्का खाते, पेट को साफ रखते हैं जिससे मन स्वच्छ, पवित्र रहे और इबादत करते हैं। रोजा रखने वाला नमाज अदा करता, खुदा को याद करता है। वो खुदा जिसको बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम कहा गया, उस रहमान को याद करता है। लेकिन बाद में न जानकारी में, या जुबान के स्वाद के लिए जानकारी होते हुए भी, जुबान को सुख मिले, उसके लिए फिर जानवरों को मार-काट करके और फिर इस जिस्मानी मस्जिद को गंदा कर लेता है।ख्वाहिशों की नहीं, रूहानी इबादत से वह परवरदिगार खुश होगा, इसी मनुष्य मस्जिद मिलेगा, दिखेगा यही कारण है कि देखो कितना रोजा रखने, नमाज लोग अदा करते हैं लेकिन सुकून शांति नहीं मिल रहा है। कारण? वह प्रभु खुश नहीं हो रहा है। जिस मन को मारना चाहिए लेकिन इंसान उस मन को ख्वाहिशों में लगा देता है और ख्वाहिशों की इबादत करने लग जाता है तो रूहानी इबादत से दूर हो जाता है। रूहानी इबादत जब किया जाता है तब खुदा का दीदार-दर्शन इसी जिस्मानी मस्जिद में होता है। और हुआ तभी तो कहा फकीर ने- अल्लाह अल्लाह का मजा मुर्शीद के मयखाने में है, दोनों आलम की हकीकत एक पैमाने में है, न खुदा मंदिर में देखा, न खुदा मस्जिद में है, शेख जिरिंदों से पूछो, दिल के आशियाने में है। इसी में वह मिलता है।कामिल मुर्शिद से इल्म लेकर रूहानी इबादत करो तब वह मालिक मिलेगा जब मन गंदी चीज खाने में लग जाता है जो इंसान के लिए नहीं बनाया गया। जिसके लिए जितने भी पीर-पैगंबर आए, जो जानकर फकीर पूरे थे, उन्होंने मना किया कि ये इंसान के लिए स्वछ साफ चीज नहीं है, इसको मत खाना। यह नापाक चीज है। पाक भोजन आपको करना है, पाक खाना खाना है, उस चीज को नहीं खाना पीना चाहिए। तो आज ईद के दिन हम इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग जो ईद मना रहे हैं उनसे अपील प्रार्थना करते हैं कि भाई इस जिस्मानी मस्जिद को पाक साफ रखो, गंदा मत रखो और इससे रूहानी इबादत करो। किसी मुर्शिद-ए-कामिल की कदमपोशी करो, उसके पास जाओ, वह नाम बतायेगा कि इस नाम से पुकारोगे तो वह मिलेगा। उसका दीदार कैसे होगा? जैसे कहा गया कि लोगों को इसी (शरीर) में दिखाई पड़ा। वह कैसे मिलेगा, वह बताएंगे। उनके पास जाओ और वह आपको इल्म देंगे तब उस इल्म से आप उसको याद करोगे, आपके अंदर उस मालिक से मिलने की तड़प जब जागेगी और मलिक जब आपको मिल जाएगा तो इसी में उसका दीदार हो जाएगा तो फिर कोई चीज की तकलीफ नहीं रह जाएगी। फिर तो दीन और दुनिया दोनों काम बन जाएगा। इसलिए इसको पाक साफ रखने के लिए मैं आज ईद के दिन इस्लाम धर्म के मानने वाले लोगों से भी अपील गुजारिश करूंगा कि आप लोग इस जिस्मानी मस्जिद को पाक साफ रखना।

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