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बस स्टैंड बदलने से भी क्या दशा बदलेगी,या फिर वही ढाक के तीन पात…?

संजय देपाले

क्योंकि बाग मे मौत की घाटी के बारे मे कोई नही सोच रहा है कि,इस समस्या का निदान कैसे हो?
बाग /:- सड़क निर्माण एजेंसी व ठेकेदार की तकनीकी लापरवाही के चलते बाग मे बायपास रोड़ पर मौत की घाटी नामक स्थान आम जनजीवन को झकझोर रहा है।पिछले दिनों एक टैंकर के अनियंत्रित होने से हुई दुर्घटना के पूर्व भी अनेकानेक घटनाएं हो चुकी है।प्रशासन ने इन घटनाओं पर अपना ध्यान आर्कषित किया था।जिस विभाग के माध्यम से ठेकेदार ने सड़क बनाई उसने करीब 800 मीटर के इस सड़क निर्माण मे तकनीकी मापदण्डों की अनदेखी कर अपनी सुविधानुसार सड़क निर्माण कर बागवासियों की जानमाल जोखिम मे डालकर चला गया, और यह 800 मीटर वाली सड़क मौत की घाटी बनकर रह गई।
स्थानीय नागरिकों ने इस बाबत कमिश्नर कलेक्टर आदि को इस समस्या निदान के लिए पत्र लिखा, उन्होंने इसे देखा भी,परन्तु वे भी कोई दुर्घटना के इंतजार मे कोई ठोस उपाय नही निकाल पाये।इस मौत की घाटी के प्रति क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व विधायक तथा सासंद की भी निष्क्रियता के चलते सुधार नही हो पा रहा है।
1अप्रैल 2024 को इस मौत की घाटी ने जब अपना साक्षात रौद्र रुप दिखला ही दिया।उसके बाद भी जिला प्रशासन जागा नही।कम अस कम कलेक्टर अपने मातहत तकनीकी विभाग के अधिकारियों की टीम को लेकर बाग पहुंचकर इस 800 मीटर के सड़क सुधारने के कोई योजनाएं बनाते और उस पर अमल की कार्यवाही करते तो लगता कि,म.प्र. का शासन – प्रशासन वास्तव मे संवेदनशील है।
खैर जिला प्रशासन ने अपने मुख्यालय से स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी दे दी।उन्होंने अपने स्तर पर प्रयास कर,जो बसों का ठहराव मौत की घाटी के तलहटी मे पड़ाव पर था,वह अब यहां से लगभग 600 मीटर दुर करनें का तय कर इस समस्या का हल माना जा रहा है।
जबकि होना यह चाहिए था कि,तकनीकी दृष्टि से इस घाटी की समस्या का निदान ही यहा पर लगे लेबल मौत की घाटी को समाप्त किया जा सकता था।
परन्तु सोच सोच का विषय है।समझा जा रहा है कि,बसों का ठहराव बंद कर देने से दूर्घटनाओं पर रोक लगेगी, परन्तु क्या इससे समस्याओं का निदान होगा?क्योंकि आवागमन तो वैसे ही चलेगा जैसा चल रहा था,जाम मे जाम भारी आवागमन,नियमों विरुद्ध संकरी सड़कें दूर्घटनाओं को निमंत्रण देती रहेगी।क्योंकि इस घाटी पर इसके इलाज पर कोई नही सोच रहा है,सोच भी रहा तो धन की आवश्यकता होगी, इसकी पूर्ति कैसे होगी, इसी मशक्कत मे स्टैंड का हटना समस्याओं का तात्कालिक समाधान समझा गया।जबकि इस घाटी से वाहनों मे तकनीकी त्रुटियों से हमेशा खतरा तो बरकरार बना रहेगा।
बाघनी नदी से होते हुए मौत की घाटी से 1000 मीटर तक टाण्डा रोड तरफ तक बनी सड़क तकनीकी द्दष्टि से ठेकेदार के साथ सबंधित विभाग द्धारा अनदेखी क्यों की गई, यह ज्वलंत मुद्दा बाग मे मौत की घाटी को सुलगा रहा है।कहा जाता है कि,ठेकेदार ने अपने अनुबंध के विपरीत नियमों विरुद्ध मौत की घाटी का यह सेंक्शन लगभग 800 मीटर मे तकनीकी नियमों विरुद्ध बनाकर घाट सेंक्शन को बिना तकनीक तरीकों से बनाई सड़क आज दूर्घटना का कारण बन चुकी है।इसे कोई देखने वाला नही है।न ही इस मुद्दे को कोई विधायक विधानसभा मे उठा रहे है,न ही सासंद ने इस सबंध मे कोई आवाज बुलंद की गई हो।
बस स्टैंड का स्थानांतरण व अतिक्रमण हटाना कितना कारगर साबित होगा यह तो समय बतलायेगा।क्योंकि फिलहाल जिस स्थान पर बस स्टैंड की योजना है,वहां यात्रियों को सुविधाओं की द्दृष्टि से परेशानियों का सबब बनेगी, जिसमें सबसे ज्यादा त्रासदी तो महिला यात्रियों को भुगतनी होगी।आनेवाली गर्मी मे पीने के पानी की व्यवस्था कैसे होगी व यात्रियों को छांव का सहारा कैसे मिलेगा, इन समस्त मानवीय पहलूओं पर ताबडतोड निर्णय कितना कारगर साबित होगा यह तो समय बतायेगा।
परन्तु यह बताने को कोई तैयार नही है कि, बस स्टैंड हटने से मौत की घाटी नामक समस्याओं का क्या हल निकल जायेगा।
तहसील प्रशासन ने व्यवस्था के लिए कमर कसी?
टैंकर दूर्घटना और दो मौत तथा अनियंत्रित वाहन लुढ़कता हुआ अनेकों वाहनों को अपने आगोश मे लेकर बाघनी नदी पर बनी दुकान पर रुकना, रूह कंपकंपाने वाली घटना ने प्रशासन के भी रोंगटे खड़े कर दिये।
दूर्घटना के बाद एस.डी.एम. ने मौका मुआयना कर फिलहाल मौत की घाटी की तलहटी मे अस्थायी बस स्टैंड को स्थानांतरित करने का निर्णय लेना कुछ हद तक दुर्घटना मे कमी आ सकती है।
इस अस्थायी बस स्टैंड की जिम्मेदारी टप्पा बाग के नायब तहसीलदार राहुल गायकवाड़ के साथ जनपद बाग के सी.ई.ओ. एम.एस.कुशवाह को दी गई है।
नायब तहसीलदार ने बताया कि हम अस्थायी बस स्टैंड पर यात्रियों की समस्त सुविधाओं पर अपना ध्यान फोकस कर ग्राम पंचायत को जिम्मेदारी दे रहे है।अस्थायी शेड व पीने के पानी व सुविधाघर आदि की व्यवस्था के निर्देश दे दिये है।नायब तहसीलदार गायकवाड़ ने बताया कि,जिस घाट के कारण दुर्घटनाएं हो रही है,उसको तकनीकी द्दष्टि से कैसे निजात पाया जावे,इसके लिए हमने एम. पी. आर. डी. सी. को पत्र लिखकर उसके तकनीकी विशेषज्ञ व सड़क निर्माण ठेकेदार के साथ बुलवाया गया है।ताकि इस घाट व मोड़ को समझकर यहाँ किस प्रकार इसे व्यवस्थित किया जा सकता है समझकर प्रस्ताव बनाये जावेगें।
इस सम्बंध मे सी.ई.ओ. कुशवाह ने बताया कि,हम तो डवलपमेंट एजेंसी है,हमें हमारे वरिष्ठ अधिकारी जैसा निर्देश देगे हम वह सभी काम नियमानुसार कर देगें।

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