सारंगपुर/(गोपाल राठौर)
हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए। क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोक्ष नहीं पा सकता है। इसलिए सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता। यह बात रविवार को श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में ब्रह्मचारी बबीता दीदी ने कही। जैन मंदिर में विश्व शांति जगत कल्याण की कामना को लेकर श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। जैन मंदिर में सिद्ध भगवान की पूजा कर विश्व शांति की कामना की गई। इस मौके पर बबीता दीदी ने कहा कि जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य-कृत्य। चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है। इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र शास्त्र के अनुसार, इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है।सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है। जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है।जैन दर्शन में अष्टनिका महापर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है। विधानचार्य प.महेश जैन द्वारा विधि विधान से आज प्रातः मूलनायक श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान के अभिषेक एंव शांति धारा कराई गई। चतुर्थ कलश से अभिषेक का लाभ श्रीपाल जैन,ओमप्रकाश जैन,वर्धमान सिंघई, जैनपाल जैन एंव शांतिधारा का लाभ श्रीमती अर्चना विवेक जैन बेंगलोर को प्राप्त हुआ विधान में सौधर्म इन्द्र ओमप्रकाश जैन, कुबेर इन्द्र ,सनत इन्द्र गीतेश जैन यज्ञ नायक मनोज पांदा ईशान इन्द्र शांतीलाल जैन को बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ विधान पूजा में पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के अध्यक्ष सुमत जैन,श्रीपाल जैन,गुणधर जैन,अनिल जैन,वर्धमान सिंघई,नवीन जैन,डॉ मगन जैन,विवेक जैन,रितिक जैन,अरुण जैन सुरेश जैन आदि उपस्तिथ थे उक्त जानकारी श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के महामंत्री मनोज जैन द्वारा दी गई